Thursday, February 24, 2011

पहली बार हम कहां मिले थे !

चलते चलते ..... कदम थमे..... और सवाल किया उसने..... पहली बार हम कहां मिले थे !..... मैंने कुछ सोचा...... हां ! इसी सदी की ..... तो बात है..... कुछ साल पहले..... शायद ९ /11 को..... नहीं - शायद जिस दिन मुंबई में धामाके हुए थे..... नहीं - शायद जिस दिन ..... पार्लियामेंट पर हमला हुआ था..... नहीं - जिस दिन एक कुंए में अजन्मी बेटियों के ..... भ्रूण मिले थे..... नहीं - जिस दिन ...... बाबरी मस्जिद गिरायी थी..... नहीं - तो फिर ..... बाद में बताती हूं..... kah कर मैंने उससे पीछा छुड़ाया.....

11 comments:

Er. सत्यम शिवम said...

आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (26.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

Sunil Kumar said...

शायद आपके व्लाग पर पहले बार आया हूँ |
बहुत ही सारगर्भित अर्थपूर्ण रचना ,बधाई

डॉ. मनोज मिश्र said...

सारगर्भित रचना.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

यह लाइनें जितना कहती हैं, उससे कहीं ज़्यादा नहीं कहती हैं...

रजनीश तिवारी said...

बहुत अच्छे शब्द ! भावना की अच्छी अभिव्यक्ति !अर्थपूर्ण !

विशाल said...

चर्चा मंच से आपके ब्लॉग तक पहुंचा हूँ.

बहुत ही गहन अभिव्यक्ति है.
सलाम.

Dr (Miss) Sharad Singh said...

अच्छी अभिव्यक्ति के लिए बधाई।

Dr Varsha Singh said...

Wow! You are a wonderful writer .
I am first time in your blog..
your welcome to my blog.

Dr Varsha Singh said...

My blog......
http://varshasingh1.blogspot.com


Your hearty welcome in my blog.
I shall be thankful of you.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

यह कुछ ही पंक्तियाँ बहुत कुछ कह गयीं ..

kavita verma said...

ankahi bahut si bate sirf ek prashan me .....uttar ki lines ke beech....