पहली बार हम कहां मिले थे !
चलते चलते .....
कदम थमे.....
और सवाल किया उसने.....
पहली बार हम कहां मिले थे !.....
मैंने कुछ सोचा......
हां ! इसी सदी की .....
तो बात है.....
कुछ साल पहले.....
शायद ९ /11 को.....
नहीं -
शायद जिस दिन मुंबई में धामाके हुए थे.....
नहीं -
शायद जिस दिन .....
पार्लियामेंट पर हमला हुआ था.....
नहीं -
जिस दिन एक कुंए में अजन्मी बेटियों के .....
भ्रूण मिले थे.....
नहीं -
जिस दिन ......
बाबरी मस्जिद गिरायी थी.....
नहीं -
तो फिर .....
बाद में बताती हूं.....
kah कर मैंने उससे पीछा छुड़ाया.....
11 comments:
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (26.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
शायद आपके व्लाग पर पहले बार आया हूँ |
बहुत ही सारगर्भित अर्थपूर्ण रचना ,बधाई
सारगर्भित रचना.
यह लाइनें जितना कहती हैं, उससे कहीं ज़्यादा नहीं कहती हैं...
बहुत अच्छे शब्द ! भावना की अच्छी अभिव्यक्ति !अर्थपूर्ण !
चर्चा मंच से आपके ब्लॉग तक पहुंचा हूँ.
बहुत ही गहन अभिव्यक्ति है.
सलाम.
अच्छी अभिव्यक्ति के लिए बधाई।
Wow! You are a wonderful writer .
I am first time in your blog..
your welcome to my blog.
My blog......
http://varshasingh1.blogspot.com
Your hearty welcome in my blog.
I shall be thankful of you.
यह कुछ ही पंक्तियाँ बहुत कुछ कह गयीं ..
ankahi bahut si bate sirf ek prashan me .....uttar ki lines ke beech....
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