Tuesday, February 24, 2009

ये कैसे दिन हैं ????

ये कैसे दिन हैं
पैर लकीरों से बाहर चलना चाहते हैं
कंधे संस्कारों के बोझ से मुक्त होना चाहते हैं
माथे पर मोहब्बत का परचम नहीं
बस शिकन है
शिकवे शिकायत की गूंज है
आंखों के खुश्क समंदर में कोई ख्वाब नहीं, किरच है
ये कैसे दिन हैं
पैरों के नीचे गरम गारा है
कदम कदम पर हवा में तलखियां हैं
लेकिन पैरों को जल्दी है नजर की सरहद से पार जाने की
ये कैसे दिन हैं
मन में मोह नहीं, बस रोश है
दिल में तूफान है, लपट है
कहीं चैन नहीं, टिकाव नहीं, नींद नहीं ख्वाब नहीं
खाली उदासी हैं, दिल उचाट है
ओ योगी, बता तो ये कैसे दिन हैं
क्यों हर पल गुजरे पल की तरह गुजरता है
गुजरा पल क्यों सूल सा चुबता है
मन की नाजुक माटी में आने वाला पल
क्यों खंजर की नोक का इंतजार करता है
एक अजीब खलिश से सने ये अलफाज किसी खोये हुए ‘ाायर की डायरी के हैं

Sunday, February 15, 2009

लुक ऐ बिट हायर

दिल्ली रेडियो के लिये जब विश्व के कुछ लोकगीत अनुवाद करके एक धारावाहिक क्रम में प्रस्तुत किये गये तो उन्हें पुस्तक रूप में प्रकाशित करते समय वह पुस्तक `आशमा` हो ची मिन्ह के शब्द दोहराते हुए उन्हें ही अर्पण कर दी। फिर मुझे हो ची मिन्ह का तार मिला जिसमें उनकी ‘शुभ कामनाएं थीं। मन की दशा कुछ बदली। साथ ही एक अंग्रेजी फिल्म याद आ गई जिसमें महारानी एलिजाबेथ को जिस नवयुवक से प्रेम हो जाता है, उसे वह समंदरी जहाज दे कर एक काम सोंपती है, जहाज जब रफ्तार पकड़ता है महारानी दूर से जहाज को दूरबीन लगा कर देखती है। जहाज का नजारा महारानी को परेशान कर देता है। देखती है कि नौजवान की प्रेमिका भी जहाज में उसके साथ है, वे दोनों डैक पर हैं। उस समय महारानी को परेशान देख कर उनका शुभ चिन्तक कहता है, मैंडम ! लुक ए बिट हायर! उपर , उस नवयुवक और उसकी प्रेमिका के सिरों के उपर महारानी के राज्य का झंडा लहरा रहा था।
अमृता की डायरी के प्रष्ट का एक छोटा सा हिस्सा है।
कमजोर पल हर किसी की जिंदगी में आते है लेकिन जिंदगी चलती रहती है। जिंदगी की परेशानिओं से उपर देखने की आदत होने लगती है

Wednesday, February 4, 2009

चाँद ......फिजा .....और वेलेनटाइन

कल शाम में वेलेनटाइन डे पर एक स्टोरी लिखने बैठी तो टीवी की खबरें कानों में पढ़ने लगी, गौर से टीवी की ओर ध्यान किया तो फिजा अपने चांद को कोस रही थी। उसके हाथ में मोबाइल था जिसे वह मीडिया को दिखा रही थी कि वर्ष 2006 में चांद ने उसे मैसेज किया जिसमें उसने कहा , अगर तुमने मेरे साथ शादी नहीं कि तो मै मर जायूंगा। मैसेज दिखाने के बाद फिजा ने मीडिया को कहा ,चांद ने मेरा प्यार देखा अब वो मेरा दूसरा रूप भी देखने के लिये तैयार हो जाये। प्यार में जाने अंजाने ही दोनों प्रेमियों के चर्चे आम हो गये ,छिपाने के लिये कुछ न रहा। तभी मेरा ध्यान अपने सामने रखी हुई नोटिंग की ओर गया, मैंने वेलेनटाइन के लिये नोटिंग में लिखा हुआ था कि प्यार कुछ पाने का नाम नहीं है, प्यार बहुत त्यागने का नाम है। प्यार को जताया नहीं जाता है। अपने प्यार को सभी गलतियों के साथ स्वीकारा जाता है। बजाये अपने प्यार को बदलने के, खुद को उसके अनुसार बदलना प्यार है। मन में सोचा कि अब यह बातें केवल किताबों और किस्सों की बातें हैं। बात चांद और फिजा की हो या वेलेनटाइन मूड की, सभी में अर्थ प्रधान हो गया है। खैर.......मैं भी कहाँ अटक गई हूँ.........फिर बात होगी। मेरी नोटिंग को जाने दें.....चाँद और फिजा के तो राज अभी खुलते रहेंगे ......प्यार का मतलब तो प्यार ही रहेगा