Wednesday, September 21, 2011

मुंबई के वाचमैन का सलाम .....

मम्मी, हमारा वाचमैन केवल वर्किंग लेडीज को ही सलाम बजाता है , आरती ने मुझे सरसरी बातचीत के दौरान बताया; मैंने कहा, क्यों ? आरती बाली, वह नौकरी करने वालियों को कुछ ज्यादा ही बड़ा समझता होगा, शायद इसी लिए । अरे छोड़ उसकी बात। तुझे तो पता है, तू कितना बड़ा काम रही है। अंगद को संभाल रही है। अंगद को अच्छे संस्कार दे रही है। मेरे बेटे को शाम को एक ताजी मुसकान दे रही है। अपने घर संसार को संभाल रही है। चौकीदार को नहीं पता है कि इस समय बेटे को अच्छे संस्कार देने कितने जरूरी हैं। पति को शाम को ताजी मुसकान कितनी ताजगी देती है। आरती कहने लगी, कभी कभी मुझे भी पेशान करते। वो कोई समझ नहीं पाता। मम्मी, आप भी तो नौकरी कर रही हो, मेरे लिए इतना अच्छा जीवन साथी आपने भी तो तैयार किया। अरे , मेरी बात छोड़, मेरे साथ बीजी थीं, पापा जी थे, वे टिंकू और गैरी को एक भी मिनट आंखों से दूर नहीं होने देते थे। स्कूल से लौटने पर उनके लिए पानी का गिलास ले कर खड़े रहते थे। होमवर्क कारन , शाम को घुमाना और रात को कहानी सुनाना। सारे काम वो कर लेते थे। और मैं --- मेरे काम का कोई वक्त नहीं था , मैं तो खबरें लिखती रहती थीं । अब तुम लोग तो न्यूक्लीयर फेमिली में हो। तुम्हें तो सभी मोर्चों पर खुद ही निभाना है।