Thursday, February 24, 2011

पहली बार हम कहां मिले थे !

चलते चलते ..... कदम थमे..... और सवाल किया उसने..... पहली बार हम कहां मिले थे !..... मैंने कुछ सोचा...... हां ! इसी सदी की ..... तो बात है..... कुछ साल पहले..... शायद ९ /11 को..... नहीं - शायद जिस दिन मुंबई में धामाके हुए थे..... नहीं - शायद जिस दिन ..... पार्लियामेंट पर हमला हुआ था..... नहीं - जिस दिन एक कुंए में अजन्मी बेटियों के ..... भ्रूण मिले थे..... नहीं - जिस दिन ...... बाबरी मस्जिद गिरायी थी..... नहीं - तो फिर ..... बाद में बताती हूं..... kah कर मैंने उससे पीछा छुड़ाया.....

वेलेनटाइन डे जा चुका है.......

वेलेनटाइन डे जा चुका है.......लेकिन 'वेलेनटाइन डे' कहानी आज हाथ लगी। । एक दोहरी कहानी जिसमें संवेदनशीलता साथ साथ चलती है; डा. संजय को जुबैदा से प्यार होता है लेकिन हाथों में थमा दी जाती है सुनयना, इनके हाथों प्यार की ताली कभी न बजी लेकिन बच्चे होते गए, सुनयना ने एक बच्चे का नाम जुबीन रखा तो दूसरे का नाम असद; संजय को बुरा लगा लेकिन वह हमेशा उन्हें मुसलिम नामों से ही पुकारती रही जब कि संजय बेटों को अर्जुन और कार्तिक कह पुकरता रहा। , एक दिन जब संजय ने मुसलिम नामों पर टोका तो सुनयना ने अपने दिल की बात कहीं, 'आप उस दिन मेरे साथ नहीं थे, जुबैदा के साथ थे;' सुनयना की बात को ध्यान देने के बजाए संजय अपनी समानांतर दुनिया में खोया रहा और सुनयना ने अपना भरपूर विकास किया और 'जुबैदा के दोनों बेटों ' को अच्छे तरीके से पाल पोस कर बड़ा कर दिया, वेलेनटाइन डे पर उस समय संजय की आंखें खुली जब उसने महसूस किया कि प्रेम की नदी तो उसके घर में ही बह रही थी। वो व्यर्थ ही स्मृतियों में भटक रहा था। उम्र के आखिरी पड़ाव का यह मिलन सचमुच कहानी का खूबसूरत मोड़ है जो किसी के भी दिल को छू जाएगा . 'वेलेनटाइन डे' कहानी कमल कुमार की लिखी हुई है, मैंने आपसे उसका एक अंश शेयर किया है।

Sunday, February 20, 2011

छू कर भी छू न सकी .......

वो डायरी ..... जिसमें तेरे प्यार की खुशबू .... से लिपटे ... कुछ अक्षर .... छिपा के रखे थे कभी .... आज फिर मेरे हाथ लगी .... पन्ना पल्टा ..... तेरा इश्क बैठा था हर अक्षर की ओट में ..... डायरी तो हाथ में थी लेकिन ..... अक्षर बहुत ऊँचे स्थान पर खड़े थे ..... छू कर भी छू न सकी ..... अपनी ही डायरी के अक्षरों को ..... बेदम हाथों से डायरी ..... फिर वहीँ रख दी..... जहाँ से मिली थी .....