Sunday, June 15, 2008

कैसा है मौसम

आज सुबह अभी बिस्तर भी नहीं छोड़ा था कि मैसेज आ गया, हैप्पी रेनी डे। गैलरी में उठ कर देखा तो सचमुच बरसात हो रही थी। मेरे देखते देखते बरसात तेज हो गई। सच ऐसे मौसम को देख कर लगा कि बच्चे ऐसे ही नैनीताल गये हैं। यहां भी नैनीताल सा ही मौसम है। अखबार उठाया तो उसमें भी मौसम वैज्ञानिकों की बातें पढ़ने को मिली। एक अखबार में तो किसानों और उनकी फसलों के बारे में भी लिखा हुआ था। फिल्मों में मुंबई की बरसात को रोमांस से जोड़ा जाता है लेकिन सुबह सुबह का मौसम देख कर मुंबई भी का भी दिल छोटा हो रहा होगा। रेडियों आन किया तो रेडियो जॉकी भी मौसम से सराबोर मिली, लगा कि राजधानी में भी मौसम खूबसूरत है। फिर गीतों का दौर चल निकला, भीगी भीगी रातों में भीगी बरसातों में कैसा लगता है-----सच कितना रोमांस है इस गीत में। एक और गीत याद आता है, प्यार हुआ इकरार हुआ, प्यार से फिर दिल डरता है क्यों---------राज कपूर और नरगिस की जोड़ी अनायास ही आंखों में तैर जाती है। हिंदी फिल्मों में बरसात के एक से एक रोमांटिक गीत दिये हैं। बरसात की फुहारों में झूमने को प्रेेमियों को बहाने दिये हैं। वैसे देखा जाए तो फिल्मों की बात छोड़ दें तो काई विरला ही सुखी होता होगा बसरात में भीग कर। अधिकतर तो भीगने पर काफी दुखी होते हैं। मौसम चाहे गमीZ का हो या सदीZ का। कई बार बरसात में माल रोड से गुजरते हुए देखा गया है कि प्रेमिका प्रेमी की बाइक के पीछे बैठी प्रेमी की पीठ में धंसी जा रही है, प्रेमिका लगता है कि ऐसे बचा जा सकता है वरसात से। हां! माल रोड के कंपनी गार्डन में बरसात के मौसम में प्रेमी जोड़े जरूर मौसमा का लुत्फ लेते हैं। प्रमियों को नहीं पता कि बरसात का पानी कुछ घरों की छतों से होता हुआ जब घर के सामान पर गिर कर उसे खराब कर देता है तो उस घर के लोगों को कैसा लगता है। जब वाटर लॉगिंग से गुजरना पड़ता है तो कैसा लगता है। एक बात और, बरसात से जब आबू का नाला उपर तक भर जाता है तो उस पर तैर रही प्लािस्टक की बोतलों जमा कर उन्हें बेचना बच्चों बहुत भाता है क्योंकि बोतले बेच कर कुछ अपनी मां को रात की रोटी का जूगाड़ करने में मदद करते है तो कुछ भुटृटे का मजा लेते हैं। खैर, बरसात में बरसात के गाने सुन कर उनका मजा लेना ही ठीक है, क्या सोचना और बातों को। रेडियो जॉकी का मस्त अंदाज सुनिये।