Sunday, May 8, 2011

मदर्स डे पर ये कहानियां

पिछली रात देर से सोने की वजह से सुबह देर से जगी.....चाय का मग और अखबार ले बैठी थी की आरती का फोन आ गया .......हैप्पी मदर्स डे .....अंगद के बर्थ डे की बात होने लगी ....."अंगद पुणे के दोस्तों को याद करता है .....सोच रही हूँ पुणे जा कर ही बर्थ डे सेलिब्रेट कर लूँ "....आरती ने कहा .....मैंने कहा मुबई में उसके दोस्त नहीं बने क्या...... आरती बोली बच्चे तो सोसायटी में है लेकिन उनकी मम्मियों से दोस्ती जियादा नहीं है .....आरती कहने लगी ......माँ .....यहाँ बच्चे तो हैं लेकिन जियादा बच्चे बाई लोगों के भरोसे ही हैं ......कोई कोई अपनी दादी के साथ होता है लेकिन ऐसे बच्चे भी बहुत कम हैं .....ऐसे मैं कैसे बच्चों को बर्थ डे पर इनवाईट करूँ .....मुझे कुछ अजीब लगा .....मैंने कहा .....उनकी मम्मियों से दोस्ती करो .....तो आरती एक केस बताने लगी.....उनकी सोसायटी में एक वकील लेडी है .....वो शाम को चार बजे घर पहुंचती है ...आते ही अपने बच्चे को आया के साथ बाहर भेज देती है और कह देती है की इसे आठ बजे से पहले न लेकर आना .......बच्चा बेचारा "मम्मा मम्मा" पुकार कर रोता रहता है .....एक दिन सोसायटी की एक बुजुर्ग महिला ने वकील लेडी को ऑफिस जाते समय टोका की उसका बच्चा उसे बहुत मिस करता है ....शाम को कुछ समय उसे दिया करो.....इस पर वकील लेडी ने बुजुर्ग महिला को लेक्चर पिला दिया ......मैं वर्किंग हूँ ....हॉउस वायफ नहीं जो शाम को बच्चे को ले कर घुमती रहूँ ......एक और बच्चे की माँ का हाल सुनाया ......बच्चा स्कूल से लौटने के बाद दिन भर सोसायटी में उदास सा कहता रहता है ....मेरा कोई नही ....मेरा कोई नहीं ......वाचमेन ने बताया की उसकी माँ इवेंट मेनेजर है .....अक्सर देर से लौटती है ..कई बार तो उसे वाचमेन घर तक पहुंचता है क्योंकि वो होश में ही नहीं होती ...... मदर्स डे पर ये कहानियां सुन कर दिल बैचेन हो उठा आज ही के दिन ये सब सुनना था क्या ......मुझे लगा आरती भी कहीं न कहीं ऐसे माहोल से खुश नहीं है .....शायद ये सब एकल परिवारों की देन है ..... उसकी बात से मन हटाने के लिए मैंने अपनी मम्मा को फ़ोन मिलाया ...... कई बार सोचती हूँ ....मेरी मम्मा और आरती सुपर मोम्म हैं .....और मेरी बीजी (मेरी स्वर्गवासी सासू माँ ) भी जिन्होंने मेरे बेटों को पालने में मेरी बहुत मदद की ...... सरिस्का भी सुपर मोम्म बने