Thursday, February 24, 2011
वेलेनटाइन डे जा चुका है.......
वेलेनटाइन डे जा चुका है.......लेकिन 'वेलेनटाइन डे' कहानी आज हाथ लगी। । एक दोहरी कहानी जिसमें संवेदनशीलता साथ साथ चलती है; डा. संजय को जुबैदा से प्यार होता है लेकिन हाथों में थमा दी जाती है सुनयना, इनके हाथों प्यार की ताली कभी न बजी लेकिन बच्चे होते गए, सुनयना ने एक बच्चे का नाम जुबीन रखा तो दूसरे का नाम असद; संजय को बुरा लगा लेकिन वह हमेशा उन्हें मुसलिम नामों से ही पुकारती रही जब कि संजय बेटों को अर्जुन और कार्तिक कह पुकरता रहा। , एक दिन जब संजय ने मुसलिम नामों पर टोका तो सुनयना ने अपने दिल की बात कहीं, 'आप उस दिन मेरे साथ नहीं थे, जुबैदा के साथ थे;' सुनयना की बात को ध्यान देने के बजाए संजय अपनी समानांतर दुनिया में खोया रहा और सुनयना ने अपना भरपूर विकास किया और 'जुबैदा के दोनों बेटों ' को अच्छे तरीके से पाल पोस कर बड़ा कर दिया, वेलेनटाइन डे पर उस समय संजय की आंखें खुली जब उसने महसूस किया कि प्रेम की नदी तो उसके घर में ही बह रही थी। वो व्यर्थ ही स्मृतियों में भटक रहा था। उम्र के आखिरी पड़ाव का यह मिलन सचमुच कहानी का खूबसूरत मोड़ है जो किसी के भी दिल को छू जाएगा . 'वेलेनटाइन डे' कहानी कमल कुमार की लिखी हुई है, मैंने आपसे उसका एक अंश शेयर किया है।
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9 comments:
मनविंदर जी पूरी कहानी शेयर कीजिये ना …………ऐसे ना तरसाइए ………अब तो पूरी कहानी का इन्तज़ार है।
manvinder ji ye ansh nahi hai kahani ki reed (spinal cord) hai. accha laga parh kar.
पूरी कहानी का इन्तज़ार है।
very expressive part of story... this is the gist of love story
we can well understand that the love u can't get do not run behind it. find and explore love in urself first and then ur better half dr kalsi
वाकई पूरी कहानी पढ़ने की उत्सुक्ता है..
श्री समीर जी की बात से सहमति है.
कोई कहानी बताए तो ऐसे!
बेकरार करके हमें यूं ना जाइए, जहां से भी हो पूरी कहानी लाइए?
मनविन्द्र जी बहुत दिन बाद आयी आपके ब्लाग पर। कहानी पूरी लिखती तो बहुत अच्छा लगता। धन्यवाद।
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