चित्रकार तो एक से एक हैं लेकिन मौसम की आवारगी कभी कभी आसमान में बैहतरीन चित्र उकेर देती है. बादलों की इस आवारगी को ओमकार चौधरी ने अपने कैमरे में कैद किया..ओमकार चौधरी डी एल ऐ मेरठ के स्थानीय सम्पादक हैं
वाह, क्या गजब का चित्र है. काश अपने केमरे के साथ मैं भी वहां होता!!
-- शास्त्री जे सी फिलिप
-- बूंद बूंद से घट भरे. आज आपकी एक छोटी सी टिप्पणी, एक छोटा सा प्रोत्साहन, कल हिन्दीजगत को एक बडा सागर बना सकता है. आईये, आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!
जब हम बच्चे थे और एक छोटे शहर में रहते थे जहाँ आसमान नजर आता था, तब सफ़ेद बादलों में तस्वीरें खोजा करते थे,जानवरों की, पक्षियों की. हाथी दादा तो अक्सर नजर आते थे. यह तस्वीर देख कर आज वह दिन याद आ गए.
20 comments:
वाह, क्या गजब का चित्र है. काश अपने केमरे के साथ मैं भी वहां होता!!
-- शास्त्री जे सी फिलिप
-- बूंद बूंद से घट भरे. आज आपकी एक छोटी सी टिप्पणी, एक छोटा सा प्रोत्साहन, कल हिन्दीजगत को एक बडा सागर बना सकता है. आईये, आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!
wow, really eye catching.
Regards
बहुत सुंदर फोटो है। आज ही पता चला उनके इस हुनर का। शुक्रिया मनविंदर।
बहुत अच्छा चित्र है।
kudrat ki is khoobsurati ko humse bantne ke liye abhar...
meri hosla afjai ke liye shukriya...
सुंदर अदभुत
वाकई प्रकृति के बहुत सुंदर नजारे को कैद किया गया है.
सुंदर ।
chitr bahut achcha laga pr badalo ki chahalakadami achchi lagi.
थैंक्स फोटो अपने ब्लॉग पर देने के लिए.
beautiful picture...
एक झलक देखकर ही पता चल जाता है कि प्रकृति का रोम रोम सुन्दर है.
sundar
बढ़िया है।
कैमरे की नज़र और आपका यह चयन
दोनों सार्थक...सटीक...सुंदर हैं.....बधाई.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
bhut khoob mam
very nice
Nayanabhiram.
बहुत ही सुंदर चित्र है.
जब हम बच्चे थे और एक छोटे शहर में रहते थे जहाँ आसमान नजर आता था, तब सफ़ेद बादलों में तस्वीरें खोजा करते थे,जानवरों की, पक्षियों की. हाथी दादा तो अक्सर नजर आते थे. यह तस्वीर देख कर आज वह दिन याद आ गए.
वास्तव में सुन्दर फोटो.
इसे देख कर तो अपना मन भी आवारागर्दी करने को मचल उठा
अद्भुत और अविस्मरणीय पल.......
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