प्रेम करने वालों के लिए भी कुंडली मिलाना जरुरी है क्या ???
जो प्रेम करते हैं, उनके लिये क्या जाति और क्या धर्म ........
ये हम सुनते आ रहे हैं। लेकिन ऐसा कम ही सुना जाता है कि प्रेम करने वालों के लिये क्या जन्म कुंडली और क्या अन्य वहम
वैसे ये जन्म कुंडलियां और वहम प्रेम करने वालों को काफी दुखी करते हैं। अगर गृह नहीं मिले, गुण नहीं मिले तो प्रेम की चादर को कहीं तह करके रख देना पड़ता है। पर क्या यह सही है?
दो प्रमियों को केवल कुंडली न मिलने पर विवाह के लिये आगे बढाया हुआ कदम पीछे खींच लेना चाहिए?
क्या ऐसे लोगों को अपने अपने प्रेम को भूल जाना चाहिए?
क्या जन्म कुंडलियां मिलानी जरूरी है?
क्या जीवन में सब कुछ पहले से तय नहीं है
12 comments:
पता नहीं क्यों कुन्डली के चक्कर में लोग प्रेम को भूल जाते है...
bahut sahi likha hai aapne.....
अगर जन्मकुंडली मिलान हो रहा है, तो प्रेम है ही नहीं।
कुण्डली का चक्कर-जो पड़े चकरा कर ही रह जाये.
@ अशोक भाई ..... और आगे प्रेम है ..... तो बाकी बातों का क्या काम ?
प्रेम है, तो full stop यहीं लगा दो. बाकी सब constants हैं, वो constants ही रहेंगे ,,,Let love बे vibrant and all encompassing. I'm sure LOVE PREVAILS .
नया फंडा है जी प्रेम का ......
Nice to see yr blog
kavi kulwant
http://kavikulwant.blogspot.com
कुंडली तो भारतीय जनमानस में कुंडली मार कर बैठ गयी है जी.
अब प्रेम को भी अपनी चपेट में ले लिया तो ये खतरनाक संकेत है..
प्रेम करते कहां हैं, ट्रैप कर रहे होते हैं। मनमोहन की डायरी में पढ़ा था कि प्रेम इतना बड़ा विद्रोह लेकिन शादी करते ही प्रेमी पुरुष प्रेमिका को उन्हीं पितृसत्ता केढांचों मेंबांध देना चहता है।
....??????
jarure nahe ha laken jarure ve ho gaya ha ku ke pram karna kese khatara sa kam nahe jetanasamaj aga ja raha ha utana he ham rudevade ho raha ha. sayade samaje badalna nahe chahata.
आज रोना आ रहा है मेरे सात ऐसा हो जायेगा तो में मर ही जाऊगाँ मुझे अपने प्यार पर विश्वास है हमारी कुन्डली जरूर मिल जायेगी. ...i love you minakshi
Post a Comment