दो सहेलियां
एक दूसरे की साथी
दो सहेलियां
एक , एकांत में जागती है
एक ,एकांत में सोती है
सोने वाली जागने वाली से ऑंखें चुराती है
जागने वाली सोने वाली को उलाहना देती है
सोती , सोती क्या है
ऑंखें चुराती है
जागती , जागती क्या है
खुली आँखों से जंगल उगाती है
उन्हीं जंगलों में घूमती है
दो सहेलियां
एक ही देह में रहती हैं
साथ साथ
दुःख कुरेदती हैं
10 comments:
भाव पूर्ण कविता.....
.
http://laddoospeaks.blogspot.com
आपके पास कैसा दिमाग है ?...जाँचिये एक मिनट में......(लड्डू बोलता है.....इंजीनियर के दिल से.....)
bhaav se labrez ye bahut sundar kavita hai aapki!
एक ही देह में रहती हैं
साथ साथ
दुःख कुरेदती हैं
-बहुत गहरी बात!! अद्भुत!
भावपूर्ण रचना,आभार.
दो सहेलियां एक देह में रहती हैं ...साथ दर्द कुदरती हैं ...
आह ... वाह ...!!
कुरेदती हैं
बहुत भावपूर्ण रचना..
very beautiful, very touching!
बेहद अर्थवान रचना!!
शीर्षक से ही कविता स्वर पा मुखर हो जाती है.
बहुत भावपूर्ण रचना.
Post a Comment