ओह! हो, कहां ले जाकर मारा है, इतनी कसक और और टीस पहुंचाने वाली पंक्तियां...न ही तेरे आने का कोई इन्तजार...कैसे आखिर आप इतने बारिकी से सोच और लिख पाते है, बहुत दिनों बाद लिखा लेकिन...धड़ाम।
आपकी रचना से मुझे अलोक श्रीवास्तव जी का ये शेर याद आ गया: मैं कैसे मानूं बरसते नैनो के तुमने देखा है पी को आते न काग बोले न मोर नाचे न कूकी कोयल न चटखी कलियाँ
अरसे बाद आपके ब्लॉग पे आना हुआ है , कमाल की नज़्म कही है आपने भले ही पुराने दिनों की बात हो ... नीरज जी ने जो आलोक श्रीवास्तव जी का शे'र कहा है उसी ग़ज़ल से एक और शे'र मैं कहता हूँ .... ये इश्क़ क्या है ये इश्क़ क्या है ये इश्क़ क्या है ये इश्क़ क्या है सुलगती साँसे, तरसती ऑंखें,मचलती रूहें,धड़कती छतियाँ...
20 comments:
ओह! हो, कहां ले जाकर मारा है, इतनी कसक और और टीस पहुंचाने वाली पंक्तियां...न ही तेरे आने का कोई इन्तजार...कैसे आखिर आप इतने बारिकी से सोच और लिख पाते है, बहुत दिनों बाद लिखा लेकिन...धड़ाम।
ठीक बात ...बढ़िया बात ...अब आए तो क्या आए ...
वाह क्या खूब लिखीं हैं ये पंक्तियाँ
''अरथ अमित आखर अति थोरे ''
....................सुन्दर ...
आपकी रचना से मुझे अलोक श्रीवास्तव जी का ये शेर याद आ गया:
मैं कैसे मानूं बरसते नैनो के तुमने देखा है पी को आते
न काग बोले न मोर नाचे न कूकी कोयल न चटखी कलियाँ
नीरज
एक एहसास
bahut he sundar ehsaason ke saath piroya hai aapne...
http://shayarichawla.blogspot.com/
कोई अचानक ही आ गया
जो गुंचे बहार में नहीं खिले ...खिजां में उनके खिलने का इंतज़ार कहाँ ...!!
सदाबहार सी कविता।
बहुत लाजवाब लिखा आपने, शुक्रिया।
great mam itne waqt tak kahan sambhal kar rakha tha...
अंतिम पंक्ति बहुत ही अच्छी..
सुन्दर कृति..
आभार
प्रतीक
bataiye?, bewaqt ki bansuri. bahut badhia likh aapne.
न ही तेरे आने का कोई इन्तजार
-बस ये कठिन हो गया बाकी तो...
शानदार रचना...
खूबसूरत पंक्तियाँ ......... अछा लगा पढ़ कर .........
सब कुछ तो ठीक है मगर यदि इंतज़ार नहीं है तो कुछ भी नहीं आख़िर में खामोश कर दिया आपने |
सब कुछ तो ठीक है मगर यदि इंतज़ार नहीं है तो कुछ भी नहीं आख़िर में खामोश कर दिया आपने |
अरसे बाद आपके ब्लॉग पे आना हुआ है , कमाल की नज़्म कही है आपने भले ही पुराने दिनों की बात हो ... नीरज जी ने जो आलोक श्रीवास्तव जी का शे'र कहा है उसी ग़ज़ल से एक और शे'र मैं कहता हूँ ....
ये इश्क़ क्या है ये इश्क़ क्या है ये इश्क़ क्या है ये इश्क़ क्या है
सुलगती साँसे, तरसती ऑंखें,मचलती रूहें,धड़कती छतियाँ...
खुबसूरत नज़्म के लिए दिल से बधाई और आभार...
didi samay mile to yahan aaiye ,aapkel iiye kooch hai http://katrane.blogspot.com/2009/12/blog-post.html
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