Thursday, November 26, 2009

पापा ........मेरे प्यारे पापा

पापा
मेरे प्यारे पापा
मैं इंतजार करती रही
चाकलेट का
गुड़िया का
उस दिन पापा नहीं आए
पापा का शरीर आया
तिरंगा में लिपटा हुआ
माँ ने बताया
पापा शहीद हो गये हैं
आसमान में तारा बन गये हैं
पापा .....मेरे प्यारे पापा

12 comments:

अजय कुमार said...

बड़ी ही मार्मिक रचना है, व्यथित करने वाली

Udan Tashtari said...

बेहद मार्मिक!

श्यामल सुमन said...

संवेदनाओं को झकझोर दिया आपने इस रचना के माध्यम से।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

समयचक्र said...

बहुत ही भावुक कर देने वाली मार्मिक पोस्ट.......

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत मार्मिक, नमन उन शहीदों को.

रामराम.

डॉ .अनुराग said...

महतवपूर्ण बात ये है की हम गुजरे वक़्त में शहीदों को न भूल जाये .....ओर अपनी जिम्मेवारियों को समझे..

इरशाद अली said...

मार्मिक अभिव्यक्ति, कम शब्दों में बड़ी बात।

रश्मि प्रभा... said...

एक मासूम की बात में दर्द की विभिषका को जीवंत कर दिया.......आंसुओं का नमन

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

very touchy...

दिगम्बर नासवा said...

MAARMIK .... HREDAY SE NIKLI RACHNA ... STABDH KAR GAYEE ...

सलीम अख्तर सिद्दीकी said...

संवेदनाओं को झकझोरने वाली बेहद मार्मिक, बहुत ही भावुक कम शब्दों में दर्द की विभिषका को जीवंत कर दिया.......आपने इस रचना के माध्यम से।

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब अजय जी ....आप की सोच और कलम को सलाम