जिन वजहों से ........
पानियों में कभी बहे ........
वो वजहें अब पानियों में बह गई हैं ........
अब ........
उन पानियों के दो किनारे बन .......
पानियों में ......
उन वजहों को टटोलते हैं .......
पर हर बार हाथ खाली ही रहते हैं .......
थक कर खड़े होते हैं .......
पानियों में अपनी अपनी परछाई ........
देख पानी पर चलने की कोशिश करते .......
लेकिन पानियों पर चलने को राजी नहीं होते कदम .......
24 comments:
paniyo par chalane ko raji nahi hote kadam......atisundar rachana....
khoobsoorat bhav
बहुत अच्छा लिखा है आपने
नमस्कार मानविंदर जी,
चुनिन्दा लफ्जों में आपने खूबसूरती से अपनी बात कही है.
मनविदंर जी काफी दिनों तक ब्लागिंग जगत से दूर रहने के बाद अब वापस आया हूं आज आपकी पोस्ट लेकिन पानियों पर चलने को राजी नहीं होते कदम पढी बेहद सुंदर और मुझे भी कुछ लिखने को प्रेरित करती सी प्रतीत हो रही है
हम दिल के सुलगने का सबब सोच रहे है
पानियों पर चलने को राजी नही होते कदम...बहुत खूबसूरत भाव
गागर में सागर । बहुत सुन्दर शब्द एवं भाव रचना ।
पानियों में अपनी अपनी परछाई ........ देख पानी पर चलने की कोशिश करते ....... लेकिन पानियों पर चलने को राजी नहीं होते कदम ......
बहुत लाजवाब लिखा है आपकी रचना बहुत अच्छे भावः लिए हुए है...............
शब्द कम भाव/अर्थ ज्यादा ,सुंदर .
one of the best from you!!
कश्मोकश का सही चित्रण।
बहुत ख़ूबसूरत,
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1. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
2. चाँद, बादल और शाम
3. तकनीक दृष्टा
लेकिन पानियों पर चलने को राजी नहीं होते कदम
-क्या बात है!!
मनविंदर जी क्या लिखा है आपने...वाह...बधाई..
नीरज
अद्भुत .....एक समां सा बाँध दिया जैसे ......
diatodayउम्र के किसी ना किसी मोड़ पर हर कोई, कभी ना कभी पानियों में बह ही जाता है। अब अगर आज इसकी वजह टटोलेगें तो हाथ खाली ही रहने है, क्योंकि हाथों ने कुछ और थाम लिया होता हैं।.... और पूना का मौसम कैसा है।
. पानियों में अपनी अपनी परछाई ........ देख पानी पर चलने की कोशिश करते ....... लेकिन पानियों पर चलने को राजी नहीं होते कदम .......
बहोत खूब!!!
लेकिन पानियों पर चलने को राजी नहीं होते कदम
-bahut khoob.
beautiful.......
maine bhi dhoop ki satah mein faila hua tha....... par meri parchhai hi mujhe nazar nahi aayi thi.......
bahut hi khoobsoorat bhaav ke saath aapne likha hai........badhai.......
अदभुत शव्द शिल्प. आभार
rachna achchi lagi badhai .belated happy birthday .
पानियों पर चलने को राजी नही होते कदम...बहुत खूबसूरत भाव
लाजवाब एक नया एहसास बधाई
manvinder ji , bahut hi khaamosh si nazm , gajab ke bhaav liye hue aur ek eke shabd apni daastan kahte hue...main nishabd hoon .. aapki lekhni ko salaam ...
aabhar
vijay
pls read my new poem "झील" on my poem blog " http://poemsofvijay.blogspot.com
manvinderji, ब्लॉग की दुनिया में टहलते-टहलते आपसे मुलाक़ात हुई, मेरठ के सारे दिन पिक्चर की तरह सामने आ गए, बेहद अच्छा लगा. आज़ादी के दिन से अपना ब्लॉग शुरू किया है- देशनामा. आशा है अब ब्लॉग के ज़रिये आपसे संवाद बना रहेगा.
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