Wednesday, November 19, 2008

ये रहमत थी या उसने उलाहना उतारा

इक सुबह
मेरे आंगन में आ गया
इक बादल का टुकड़ा
छूने पर वो हाथ से फिसल रहा था
मैंने उसे बिछाना चाह
ओढ़ना चाहा
पर
जुगत नहीं बैठी
फिर
बादल को न जाने क्या सूझी
छा गया मुझ पर
मैं अडोल सी रह गई
और समा गई बादल के टुकड़े में
पता नहीं
किस टुकड़े को ओढ़ा
और कौन सा बिछ गया
मैं सिर से पांव तख
नहा गई
ये रहमत थी
या उसने उलाहना उतारा
बस सोचती रह गई

25 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर।

Anonymous said...

khubsurat andaaz

नीरज गोस्वामी said...

ये रहमत थी
या उसने उलाहना उतारा
बस सोचती रह गई
वाह...क्या दिलकश अंदाज है आप का...सुभान अल्लाह...
नीरज

गौतम राजऋषि said...

वाह क्या बात है...सुभानल्लाह

मोहक शब्दावली और संयोजन

बधाई स्वीकर हो मैम

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

इस एहसास को नाम ना दें

अमिताभ मीत said...

ये रहमत थी
या उसने उलाहना उतारा
बस सोचती रह गई

कमाल है ! बहुत सुंदर है.

Rachna Singh said...

nice as usual

सुनील मंथन शर्मा said...

wah.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

आपकी अभिव्यक्ति गहरी
और दिलको छूनेवाली है
- लावण्या

siddheshwar singh said...

अब्र में अब्र-सा बन जाने से
रश्क होता है इस फसाने !

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

दिनेशराय द्विवेदी said...

अति सुंदर!

प्रदीप मानोरिया said...

बहुत खूब आपने अपने विचारों को सुंदर तरीके से व्यक्त किया है
आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है

रंजू भाटिया said...

बहुत भावपूर्ण लिखा है आपने मनविंदर

seema gupta said...

पता नहीं
किस टुकड़े को ओढ़ा
और कौन सा बिछ गया
मैं सिर से पांव तख
नहा गई
ये रहमत थी
या उसने उलाहना उतारा
बस सोचती रह गई
" great, so impressive words"

regards

Dr. Amar Jyoti said...

मन को भिगो देने वाली भावपूर्ण अभिव्यक्ति। बधाई।

makrand said...

मैं सिर से पांव तख
नहा गई
ये रहमत थी
या उसने उलाहना उतारा
बस सोचती रह गई

bahut sunder composition
regards

शोभा said...

वाह बहुत सुन्दर।

मोहन वशिष्‍ठ said...

मनविदंर जी
आपने जो लिखा है उसके लिए मेरे पास शब्‍द ही नहीं है बहुत बहुत बहुत ही सुंदर रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं

बवाल said...

बहुत सुंदर, बहुत बेहतर बात कही जी आपने. कितना गूढ़ार्थ है कविता में.
आभार सहित.

अनुपम अग्रवाल said...

अद्भुत अभिव्यक्ति
बेहतरीन रचना
उलाहने की रहमत !

पारुल "पुखराज" said...

bahut acchey !

महावीर said...

बहुत सुंदर रचना है।

Bahadur Patel said...

bahut sundar kalpana hai.badhai.

Alpana Verma said...

ये रहमत थी
या उसने उलाहना उतारा
बस सोचती रह गई

-bahut hi khubsurat abhivyakti