अमूमन
किनारों पर बैठी
लहरें बता देती हैं
कि तूफान आयेगा
ये लहरे हैं समंद्र की
मन की कोई लहर नहीं होती
न पानी के छड़ापे
बस
इक तूफान उठता है
जो पलकों पर आ कर
ठहरता है
दीखते है
हवा में लटकते हर्फ़
मैं उन्हें कागज पर रख देती हूं
कई बार ये हर्फ़ बर्फ से ठंडे होते है
तो कई बार सूरज का सेक लिए
21 comments:
बहुत गहरे अल्फ़ाज.
संपूर्ण प्रवाह के साथ.
वाह! सही कहा तुमने।
sundar kalpana(mere liye) achcha chitran.
कई बार ये हर्फ़ बर्फ से ठंडे होते है
तो कई बार सूरज का सेक लिए
बहुत बढ़िया
दीखते है
हवा में लटकते हर्फ़
मैं उन्हें कागज पर रख देती हूं
बहोत खूब लिखा है गहरे एहसास के साथ बहोत बढ़िया नज़्म ... ढेरो बधाई आपको...
बहुत बढिया,
बहुत बढिया,
अच्छी कविता है
bahut sundar
अमूमन
किनारों पर बैठी
लहरें बता देती हैं
कि तूफान आयेगा
बहुत बढ़िया...सही है.
सही कहा ! भावनाएँ आँखों से छलक नहीं पातीं तो कागज़ पर हर्फों के दररमियान ही दफ़न हो जाती हैं।
Alfaaz behad khoobsoorat hain...kehte, sunte aaye hain ki bhasha bohothi adhoora madhyam hai samwadka ka...phirbhee jab uske alawa koyi chara nahee reh jaata to use kitna prabhavee bana jaa sakta hai ye koyi aap jaise likhnewalonse poochhe...!Dono rachnayen itne kam shabdonme itnaa kuchh keh gayee ki mai stabdh reh gayee...!Kabhi barfsa thanda man to kabhi soorajsi raushan muskaan !
Aapki ID par maineapne artwork ki kuchh pics bhejnee chahee par bounce ho gayi. is msg ke saath ki aapki "yahoo " ID nahee hai..Kya mujhe bata sakengee ki kis IDpe bhejun?
कई बार ये हर्फ़ बर्फ से ठंडे होते है
तो कई बार सूरज का सेक लिए
कमाल किया है आपने...बेहद खूबसूरत रचना...वाह.
नीरज
Shama ji or mere sabhu bloger sathion,
mere shabdon ko maan or hoslafasayee ke shukriya......
shama ji , aap manvinderb@gmail.com per bhej do
छोटी किन्तु गहरी कविता। भावनाओं को सुन्दर प्रस्तुतिकरण।
भयंकर बात सहज शब्दावली मज़ा आ गया आपका चिंतन बहुत गहरा है
Manvidarji...aaj yahan aayee hun aapko mere blogpe aamantrit karne.." Meree Aawaz Suno" is lekhko padhnekee iltija karne...Mumaime hue bam dhamakonse, un teen afsaronkee mautse( inke alawa har massomki)karah uthee hun...inhen barose jaana tha...apne haathonse kayee baar khana khilaya tha....Aur saath hee ek pran karne...
mere blog par ane ke liye dhanyawad aur sundar kavita ke liye badhai
कई बार ये हर्फ़ बर्फ से ठंडे होते है
तो कई बार सूरज का सेक लिए
Bahut hi ghari bat ha in panktiyon men...Bahut-Bahut badhai
Achcha likha hai aapne.Badhai.
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