Sunday, April 4, 2010

कोई अधिकार नहीं..... कोई उलाहना नहीं

तुम्हें अगर मेरी जरूरत होती तो तुम मुझे इन राहों पर अकेली न छोड़ते । एक लंबे काल तक मैं अपने आप से ही बातें करती रही। कभी तुम्हारे भीतर जा कर सवाल करती तो कभी अपने अंदर से जवाब तलाषती। पर मेरी तुम्हारी चुप सी बातें मेरे अंदर जवान होती और कुछ समय बाद वहीं दम तोड़ देतीं। अरसा गुजर चुका है। अब तुम मेरे लिए ऐसे हो गए हो जिस पर मेरा कोई अधिकार नहीं, कोई उलाहना नहीं। मोहब्बत तो मैं अब भी तुम से उतनी ही करती हूं पर इस तरह से नहीं जैसे कोई औरत एक मर्द से करती है, बल्कि इस तरह से जैसे कोई इंसान रब से करता है। तुम इसे समझ सकोगे या नहीं, नहीं जानती ..........

दरअसल , मैं अंदर से और ----बाहर से और -----हो कर जीना नहीं चाहती, इसी लिए मैंने उस गांठ को खोल दिया है जिसके अंदर रह कर मैं कुछ और रहती हूं, बाहर रह कर कुछ और। मैं आंखें बंद कर के कुछ और सोचती हूं और आंखें खोल कर कुछ और देखती हूं। ऐसी गांठों को खोलना आसान नहीं होता है लेकिन अब मैंने इन्हें खोल दिया है, कई warsh लगा दिए इस गांठ को खोलने me .......अब जो मैंने किया है, वह केवल इस लिए,ताकि मैं किसी और से , खुद से झूठ न बोलूं ....... तुम्हारे साथ गुजारा हुआ वक्त अब मुझे सपने में भी नहीं सोचना है। यह सब मैं अपने लिए कर रही हूं। अपनी आत्मा को दागी होने से बचाने का एक प्रयास है। औरत का इससे बड़ा दुख और कुछ नहीं हो सकता है कि उसके सपनों को उसकी जुबान के सामने मुकरना पड़े। मुझे दुनिया के सुखों की चाह नहीं हैं। मेरे मन के सुख मेरी तरह से कुछ अनोखे हैं। षायद तुम समझ पाते । समाज के कानून से लिथड़ी हुई त्यौरियां मैं सहन नहीं कर सकती। आज तुम बेखबर हो कर सोए हुए हो। ऐसा लगता है जैसे तुमने कालों के बाद ऐसी नींद ली है। तुम्हारा चेहरा कह रहा है, तुमने सालों बाद भूख का व्रत तोड़ा है क्योंकि एक भरपूरता चमक रही है। ----------------- दोस्त की डायरी के कुछ अंश

7 comments:

Harish Joshi said...

औरत का इससे बड़ा दुख और कुछ नहीं हो सकता है कि उसके सपनों को उसकी जुबान के सामने मुकरना पड़े।
यह लाइन बिलकुल दिल को छु गई है...

आपका हरीश..

रश्मि प्रभा... said...

is ansh me bahut kuch bhare hain

डॉ. मनोज मिश्र said...

अन्तर्निहित भावों में कमाल की अभिव्यक्ति है.

Satish Saxena said...

कमाल की अभिव्यक्ति ....शुभकामनायें !

कंचन सिंह चौहान said...

samvedansheel.....!

डिम्पल मल्होत्रा said...

ultimate

स्वाति said...

bahut kuchh vyakt kar gayi yah bhavpurna post.