Tuesday, January 5, 2010

अब वो शांत था ......

उस दिन बेहद कोहरा था । कोहरे से भरे बादल बार बार गाड़ी के सामने वाले शीशे से टकरा रहे थे लेकिन उसे मंजिल पर पहुचने की बहुत जल्दी हो रही थी । गाड़ा कोहरा गाड़ी को स्पीड में आने ही नहीं दे रहा था । सामने एसा लग रहा था जैसे किसी ने धुयाँ धुयाँ छोड़ दिया हो । तभी कोहरे का एक बादल आया और उसने सड़क की सफ़ेद पट्टी को पूरी तरह से दबा दिया ...... गाड़ी को ब्रेक लगाने पड़े ...... इसी बीच मोबाईल बज गया। उसने काल सुनने के बाद गाड़ी मोड़ ली । अब वो शांत था ।

6 comments:

निर्मला कपिला said...

किसी बला से छुटकारा मिल गया होगा। शुभकामनायें

डॉ. मनोज मिश्र said...

.रहस्यमय?

Udan Tashtari said...

चलो, जो हुआ अच्छा हुआ!!

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

aage ki baat ka intezaar raheyga...

Anonymous said...

वही होना था?

gs panesar said...

waah!!suspense khul jaata tau achha thaa.. chalo fir bhi...achha hai.....