Monday, May 4, 2009

पेड़ .......जिस पर अभी अभी बौर आया

मेरे शहर में एक प्यारी सी लड़की थी ......डी फार्मा की छात्रा , जिसने प्यार में धोखा मिलने पर अपनी जान गंवा दी। अपने प्रेमी के लिए उसका आखिरी नोट कुछ इस तरह से था............''मैं तुम्हें प्यार की तरह से प्यार नहीं करती , मैं तुम्हें देवता समझती थी। तुमने शादी करके दिखा दिया कि प्यार हमेशा बराबर वालों के साथ किया जाता है। हम ही गलत थे। एक बार यह तो देख लेते, तुम हमारे दिल में किस जगह रहते थे।''

.......... पता नहीं उम्र कच्ची थी या प्यार का रंग लेकिन प्यार रूसवा हो गया।

अरसा पहले एक नज्म यूं ही लिखी थी, नहीं जानती आज क्यों फिर वह नज्म जेहन में हावी हो रही है।

एक ख्याल

उगते सूरज सा ख्याल

पहली बार ख्याल से सामना हुआ

उस पेड़ के नीचे

जिस पर अभी अभी बौर आया था

ख्याल बौर से खेलने लगा

वो तपती दोपहरी थी

ख्याल के साथ आन खड़ा हुआ एक साया

हवा चली

बौर के कुछ अंश साये पर बिखरे

साये में कंपन हुआ

कायनात महक उठी

डाल पर बैठा परिंदा देख रहा था

कंपन

कायनात का महकना

और दूर से आता तूफान (अगला अंश फिर कभी ..................)

29 comments:

नीरज गोस्वामी said...

बहुत खूब...मार्मिक रचना...
नीरज

डॉ. मनोज मिश्र said...

सुंदर रचना .

इरशाद अली said...

अभी कि तो घटना है ये, उस लड़की का वो आखिरी खत अखबार में शाया भी हुआ। इस बात का मलाल करने वालों की एक लम्बी फेहरिस्त है, लेकिन आपने इस बात से अपनी किसी पुरानी याद का साझा किया, और एक बेहतरीन नज्म भी हवाले की यह उस घटना को बेहद करीब से महसूस करने की कवायद लगती हैं। हो सकता है इसका सबब किसी जख्म से हो, किसी कसक से हो या फिर किसी अनकहे किस्से से रूबरू होने की बात हो। फिर भी ये कहना कि-‘‘पता नहीं उम्र कच्ची थी या प्यार का रंग लेकिन प्यार रूसवा हो गया।’’ किसी खरोंच लगे हुए निशानों का पता देता हैं।

सुशील छौक्कर said...

गहरी और मार्मिक रचना।

Yogesh Verma Swapn said...

lagta hai bahut gahri chot pahunchi hai. aansoo ka ek ek katra shabd ka roop lekar kavita men sama gaya hai. bahut bahut bahut badhai.
.

दिगम्बर नासवा said...

दिल को छु कर निकल गयी यह रचना..............कुछ हिलता हुवा सा महसूस हुवा मुझे

के सी said...

खूबसूरत नज़्म है, और विवरण ने संजीदा कर दिया.

श्यामल सुमन said...

मर्म-स्पर्शी रचना खासकर तब जब आपने अपने कथ्य से इस कविता को जोड़ा है। आपकी संवेदनशीलता को नमस्कार।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

डॉ .अनुराग said...

कच्चे ख्याल ....पर कितने उजले......

Vinay said...

आम के बाग़ों से तो मेरा अज़ीम रिश्ता है, इन्हीं को देखते हुए बड़ा हुआ हूँ

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चाँद, बादल और शामगुलाबी कोंपलें

समय चक्र said...

मार्मिक रचना है.

"अर्श" said...

ye rachanaa wakayee jhkjhor ke rakhdene waali bahot hi marmik hai ...


arsh

अनिल कान्त said...

आप बहुत बेहतरीन लिखती हैं ...रचना ने झकझोर कर रख दिया

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

कुश said...

ख्यालो में गोते खाना भी कभी कभी अच्छा लगता है.. बहुत ही बढ़िया

रंजू भाटिया said...

अच्छी लगी आपकी रचना .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मार्मिक सुंदर रचना,
दिल को छू गयी.

Anonymous said...

कायनात का महकना ...
और दूर से आता तूफान ...
कांपा तो परिंदा भी होगा

शोभना चौरे said...

पहली बार ख्याल से सामना हुआ उस पेड़ के नीचे जिस पर अभी अभी बौर आया था ख्याल बौर से खेलने लगा
bhut hi sundar vichar .

रवीन्द्र दास said...

marm-sparshi kavita.

admin said...

इस घटना और आपकी कविता को पढकर मन भारी हो गया।

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SBAI TSALIIM

parul said...

kya kahu apke bhaavo ke bare mein
akhir dil ko nram bna diya
bhaut dino ke baad apke blog par nazar dali aur man kush ho

best mam

dr ravi sharma said...

bahut achha likha aapne.

RAJNISH PARIHAR said...

Bahut sundar rachna...achhee abivyakti...

hem pandey said...

बौर ने साए पर बिखरना और कायनात का महकना महसूस किया लेकिन आने वाले तूफ़ान को नहीं देखा.ऐसा ही उस लडकी के साथ भी हुआ.

Anonymous said...

khayalon se khelne ka khayal ...ati sundar khayal...

Sajal Ehsaas said...

itni achhi shuruvaat hai...agle ansh ka aur kitna intezaar karna hoga...yakeenan dil ko chhooyega wo

www.pyasasajal.blogspot.com

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाहवा बेहतरीन भावाभिव्यक्ति के लिये साधुवाद पर इस प्रस्तुति का कारण मन को अशांत कर गया

Drmanojgautammanu said...

apke blog par aana achcha laga ....thanx

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma said...

ek sukoon mila aapke blog par aakar.kabhi fursat mile to hamare blog par bhi aayega............ pyar ko samazna bhi asan nhi hota