मानविन्दर जी, आपके ब्लाग पर अक्सर आना होता है,हां टिप्पणी करने में थोड़ा आलस आ जाता है लेकिन आपकी लिखी कविताएं पढ़ता रहता हूं, कम शब्दों में जिन्दगी की उलझनों को अभिव्यक्त करने का आपका तरीका वाकई लाजवाब है, मेरे ब्लॉग पर आकर टिप्पणी करने के लिए शुक्रिया। इन टिप्पणियों से मेरा हौसला बढ़ता है और लिखने की प्रेरणा मिलती है।
Jab wo bootee aap zindgee ko pilayen to mujhe bhee bula leejiyega ,hath laga doongee ;pooja karte waqt sath jo khara ho uska hath lagwa lete hein na! lagta hai ki kavita se tipparee lambee ho gaee. Apko bahut -bahut badhee!!
aasha our nirasha dono hi ek chakka ke do pahlu hai .jindgi ek chakka hai jisame aasha our nirasha do pahlu ........ aasha hi to jiwan ki gadi ko aage badati hai ......achchhi abhivyakti
गहरे, शाब्दिक सार्थक प्रयोगों की बानगी। हल्के-हल्के, छोटे-छोटे अर्थो में बड़ी बातें और निजी अनुभवों का साझा। आप आत्मियता की चादर आपबीती के धागों से बुनती हैं, तब जाकर कविता होती है।
aapki rachna ki pahali pankti to mujhe gazal ke misre ki tarah nazar aarahi hai.... aapse aanumati ke baad kabhi ispe ek gazal likhunga... bahot khubsurat aur behad umda likha hai aapne hamesha se aapka murid raha hun ... dhero badhaaee aapka...
hi, nice to go through ur blog...it is really well informative..by the way which typing tool are you using for typing in Hindi...?
recently i was searching for the user friendly Indian Language typing tool and found ... "quillpad". do u use the same..?
Heard tht it is much more superior than the Google's indic transliteration...!?
expressing our views in our own mother tongue is a great feeling...and it is our duty to save, protect, popularize and communicate in our own mother tongue...
jindgi sirf palatti ja rahi hai hawaon me haruf uda rahi hai umr ki seedhi par chadhte hue sochte hain hum kahan ke liye chale the hum jaane kahan jindge le ja rahi hai ....
यह तो जिंदगी की पुरानी आदत है /न जाने कितनो को भूली हुई है /सोचती होगी ""दुखियों से भरा है सारा ज़माना ,किसे याद रखना किसे भूल जाना ""जिंदगी उन्ही को याद रखती है जो स्वम अपने को याद रखते है
37 comments:
जिंदगी रख के भूल गई है मुझे
खूबसूरत....बहूत ही उम्दा
कुछ ही लाइनों में इतनी लम्बी और गहरी बात आपके ही लेखन में मिलती है
बधाई
मानविन्दर जी, आपके ब्लाग पर अक्सर आना होता है,हां टिप्पणी करने में थोड़ा आलस आ जाता है लेकिन आपकी लिखी कविताएं पढ़ता रहता हूं, कम शब्दों में जिन्दगी की उलझनों को अभिव्यक्त करने का आपका तरीका वाकई लाजवाब है, मेरे ब्लॉग पर आकर टिप्पणी करने के लिए शुक्रिया। इन टिप्पणियों से मेरा हौसला बढ़ता है और लिखने की प्रेरणा मिलती है।
वाह क्या कहने। सच बहुत ही उम्दा लिखा है।
वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
जिंदगी रख के भूल गई है मुझे
gagar men sagar, bahut khoob , manvinder ji, badhai
bahut acchi rachna..
पहली लाइन तो खींच लेती है अपनी ओर...
Jab wo bootee aap zindgee ko pilayen to mujhe bhee bula leejiyega ,hath laga doongee ;pooja karte waqt sath jo khara ho uska hath lagwa lete hein na! lagta hai ki kavita se tipparee lambee ho gaee. Apko bahut -bahut badhee!!
जिंदगी रख के भूल गई है मुझे...
पहली पंक्ति से ही वजन बन गया .
sahii kikha miljaaye butii to patent karaa lae bahuto ko jarurat hogee
मिल जाए तो हमें भी पता बताइएगा। तलाश तो हमें भी है।
sach choti si kavita pura zindagi ka saar samaye,sunder badhai
बढ़िया है ....
"ज़िन्दगी ... "रख के" भूल गई है ..."
बहुत बढ़िया है ...
aasha our nirasha dono hi ek chakka ke do pahlu hai .jindgi ek chakka hai jisame aasha our nirasha do pahlu ........
aasha hi to jiwan ki gadi ko aage badati hai
......achchhi abhivyakti
गहरे, शाब्दिक सार्थक प्रयोगों की बानगी। हल्के-हल्के, छोटे-छोटे अर्थो में बड़ी बातें और निजी अनुभवों का साझा। आप आत्मियता की चादर आपबीती के धागों से बुनती हैं, तब जाकर कविता होती है।
अय ज़िन्दगी!
न छोडा कर यूँ राहों में तन्हां
कहीं मेरा यार बहक न जाये....!!
जिन्दगी रख के भूल गयी है मुझे
बड़ी सुन्दर पंक्ति लिखी आपने , वो भूल गयी और हम सब्र के घूँट पिए अपना वजूद तलाशते रहे |
ओशो ने कहीं पे कहा है " जिंदगी एक सपना है, जिसे आत्मा देखती है " आपने शायद आत्मा के बारे कह रहीं हैं की वो इस जिंदगी को भूल गयी है.
बहुत बढ़िया...
बड़ा अच्छा प्लान है!
बहुत ही गहरी बात लिख दी आप ने....
कि जिंदगी रख के भूल गई है मुझे...
धन्यवाद
aapki rachna ki pahali pankti to mujhe gazal ke misre ki tarah nazar aarahi hai.... aapse aanumati ke baad kabhi ispe ek gazal likhunga... bahot khubsurat aur behad umda likha hai aapne hamesha se aapka murid raha hun ... dhero badhaaee aapka...
arsh
गंभीर रचना ... सुंदर अभिव्यक्ति।
कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आपने। वाह। किसी ने कहा है कि-
हिन्दगी इक फलसफा है पर कहानी और है।
जी रहे हैं फिर भी लेकिन जिन्दगानी और है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
कितनी बड़ी बात क्या सहजता से कही आपने ! वाह वाह ! बहुत बधाई आपको जी ।
जिंदगी रख के भूल गई है मुझे
"बेहद ही संजीदा भाव.....जिन्दगी का काम ही है भूलना और हमारा उसी तलाश में शायद जिन्दगी भर लगे रहना...."
regards
bahut hi achchhe....! Vaquai Amrita Pritam ki yad aati hai aap ko padh kar
hi, nice to go through ur blog...it is really well informative..by the way which typing tool are you using for typing in Hindi...?
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try this, www.quillpad.in
Jai..Ho...
kabhi ek pal bhi...
kabhi yeh udasi...
dil mera bhoole...
tabhi chupke se
dabe paon akar
dukh mujhe choo le...
Mili film ke geet ki lines yaad aa gai...
Nice madam.... Great lines.
बहुत सुंदर...
jindgi sirf palatti ja rahi hai
hawaon me haruf uda rahi hai
umr ki seedhi par chadhte hue sochte hain hum
kahan ke liye chale the hum
jaane kahan jindge le ja rahi hai ....
बहुत अच्छी रचना है.
कुछ पंक्तियों में सब कुछ
कह देना आसान नहीं होता.
ज़िन्दगी का कुल फलसफा
आपने इस रचना में कह दिया.
बहुत बधाई.
वाह! इसे कहते हैं बूँद में सागर भरना।
टूटते परिवार की कहानियां तो बहुत सुनी पर पहली बार "खुद के खुद से टूटे रिश्तों" की बात सुनी और उस पर मरहम लगाने का ऐसा अनोखा प्रयास सराहनीय ही है.
मेरी हार्दिक शुभकामनाएं.
चन्द्र मोहन गुप्त
यह तो जिंदगी की पुरानी आदत है /न जाने कितनो को भूली हुई है /सोचती होगी ""दुखियों से भरा है सारा ज़माना ,किसे याद रखना किसे भूल जाना ""जिंदगी उन्ही को याद रखती है जो स्वम अपने को याद रखते है
jindagi bhoo gayi hai humein...ya hum jindagi ko bhulaye hue hain...bas lagatar aar-paar ki daud mein khoye hue hain....duniadaari ke beech apni jindgi gawaye hue hain...
bahut behtareen dill ko chooone wali panktiyaan...zindagi ki yaad wapas dilane ke liye shukriya
वाह जी वा बहुत बेहतरीन लिखा है आपने बहुत अच्छा
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