Wednesday, February 4, 2009
चाँद ......फिजा .....और वेलेनटाइन
कल शाम में वेलेनटाइन डे पर एक स्टोरी लिखने बैठी तो टीवी की खबरें कानों में पढ़ने लगी, गौर से टीवी की ओर ध्यान किया तो फिजा अपने चांद को कोस रही थी। उसके हाथ में मोबाइल था जिसे वह मीडिया को दिखा रही थी कि वर्ष 2006 में चांद ने उसे मैसेज किया जिसमें उसने कहा , अगर तुमने मेरे साथ शादी नहीं कि तो मै मर जायूंगा। मैसेज दिखाने के बाद फिजा ने मीडिया को कहा ,चांद ने मेरा प्यार देखा अब वो मेरा दूसरा रूप भी देखने के लिये तैयार हो जाये। प्यार में जाने अंजाने ही दोनों प्रेमियों के चर्चे आम हो गये ,छिपाने के लिये कुछ न रहा।
तभी मेरा ध्यान अपने सामने रखी हुई नोटिंग की ओर गया, मैंने वेलेनटाइन के लिये नोटिंग में लिखा हुआ था कि प्यार कुछ पाने का नाम नहीं है, प्यार बहुत त्यागने का नाम है। प्यार को जताया नहीं जाता है। अपने प्यार को सभी गलतियों के साथ स्वीकारा जाता है। बजाये अपने प्यार को बदलने के, खुद को उसके अनुसार बदलना प्यार है।
मन में सोचा कि अब यह बातें केवल किताबों और किस्सों की बातें हैं। बात चांद और फिजा की हो या वेलेनटाइन मूड की, सभी में अर्थ प्रधान हो गया है। खैर.......मैं भी कहाँ अटक गई हूँ.........फिर बात होगी। मेरी नोटिंग को जाने दें.....चाँद और फिजा के तो राज अभी खुलते रहेंगे ......प्यार का मतलब तो प्यार ही रहेगा
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26 comments:
Kya yah pyaar tha ?
मीडिया, पत्रकारों और लोगो को जितनी चिंता चाँद और फिजा की है ...काश उसकी आधी भी उसकी पहली पत्नी और उसके बच्चो की करते ......उनकी पीड़ा की कोई नही सोचता ....
ैऐसे प्यार तो वैलेन्टाईन दय पर ही पनपते हैं और उसी रात खत्म हो जाते हैं मैं चाह्ती हूंम फिज़ा का प्यार भी यहीं खत्म हो जाये जो प्यार किसी और औरत के सपनों को मसल कर पनपा है उसका अंत यही होना चाहिये
जब तक पत्निया इस तरह पर स्त्री गमन करके आये पति के साथ सुलह करके { किसी भी कारण से } दुबारा उनको पति मान कर उनके साथ दैहिक सम्बन्ध बनाती रहेगी तब तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं हैं . बात केवल चंद्र मोहन , अनुराधा बाली और सीमा विश्नोई की नहीं हैं . बात हैं समाज मे अनेतिकता बढ़ाने के लिये कौन जिम्मेदार हैं . क्यूँ पत्नियां ऐसे मे चुप रहती हैं . क्यों नहीं वो अपने पति से सम्बन्ध समाप्त करती हैं . जो चन्द्र मोहन और फिजा ने किया वो जीतना ग़लत हैं उससे भी ज्यादा ग़लत हैं सीमा का अपने पति को फिर से पति मानना . अगर समा वो करती जो चन्द्र मोहन ने किया तो सब फिर सीमा को ही दोष देते .
क्यों नहीं पत्नियां ऐसे पति को जेल कर वाती हैं जो बहु विवाह करते हैं ??
हमारा मीडिया बेवजह चाँद और फिजा के मामले को तूल दे रहा है वरना दुनिया में और भारत और बहुत कुछ हो रहा है जो इस से ज्यादा जरूरी है
तमाशा और सिर्फ़ तमाशा है यह जहाँ प्यार के नाम पर सिर्फ़ मजाक बना दिया है जिन्दगी का
अपने बच्चे की मौत के कुछ ही महीने बाद कोई आदमी कैसे किसी दूसरी औरत से साथ खुलेआम ये कर सकता है ....इसे तो अपराध कहते है....अगर यही काम सीमा करती तो ???क्या मीडिया का ,समाज का यही रवैया होता .....दरअसल ये किसी धर्म का ,कानून का खुला मजाक है ओर प्यार के नाम पर फूहड़ भद्दापन
ishq ka tamaasha bana diya,ab us se hi chula jalate hai.
डा0अनुराग ठीक कह रहे हैं।
bahut achhi post hai. maine bhi aaj he is mudde par ek post dali hai. zaror nazar dalen
अति महत्वाकांक्षी स्त्रियों का यही हश्र होता है -ये घटनाएँ अब आम हो चली हैं .उत्तर प्रदेश में ऐसी स्वच्छन्दता कीमत एक कवयित्री अपनी जान देकर चुका चुकी हैं -अमर मणि त्रिपाठी सपत्नीक आज भी उसी गुनाह में जेल में हैं ! नारियों को इन घटनाओं से सबक लेना होगा !
अच्छी पोस्ट है......प्यार की पवित्रता को टी आर पी की लालची मीडिया क्या समझे ?
मै अर्विन्द मिश्रा जी की बात से सहमत हुं.
बाकी आज जिसे लोग प्यार कहते है, क्या सच मै यह प्यार है?? प्यार मै कोई बदला तो क्या उस के बारे बुरा भी नही सोचता. शकल देख कर, पेसा रुतवा देख कर प्यार नही व्यापार होता है.
धन्यवाद आप ने बहुत सूंदर लेख लिखा.
सुंदर और रोचक आलेख से आपने अपनी बात सहजता से कह दी ... बधाई
इनके बारे में बात ना ही की जाए तो अच्छा है..
जो कुछ चल रहा है,
इसे प्यार तो नहीं कहा जा सकता.
किसी के घर उजाड़ने की पीड़ा क्या
होती है, यह अब आंसू बहने वाली
इस औरत की समझ में आ रही
होगी.
aaj ke is baajaarikarn ke daur men, pyar 100 percent discount pe sab kuch de dene ka hi naam hai.
main aisa is liye kah rah hoon kyun ki aaj pyar men bhi baajaar aa gaya hai, halanki hame yah swikar nahi karna chahiye.
मनविन्दर जी को बहुत-बहुत धन्यवाद,
मेम कार्यक्रम की सभी तैय्यारीयां हो चूकी है। बहुत सारे ब्लागरों के नाम उपलब्ध हुए है जो कार्यक्रम में उपलब्ध होगें और आना चाहते है। बाकी बातचीत चल ही रही है। और कार्ड भी वितरित हो गए हैं। आपकी तरफ से जो हिदायत मुझे मिली थी कि आपका नाम कार्ड में न दू तो ऐसा ही किया गया है। लेकिन हमसब जानते है कि आपकी उपस्थिति कार्यक्रम को यकीनन भव्यता प्रदान करेगी। आपका कार्ड हिन्दूस्थान के आफिस भी पहुंचा दिया जाएगा। और यदी आपको कुछ अतिरिक्त कार्डो की आवश्यकता हो तो आप बता सकती है।
बहुत-बहुत आभार के साथ
इरशाद
Manvinder Mam...
Galti to chand ki bhi hai log chand ko paana chahete hain aur chand khud fiza mein ghulna..
yeh to hona hi tha...
मन को भ्रमित करो मत वैलेन्टाइन से,
सच्चा प्यार हमेशा बैलेन्टाइन - डे ।।
bahut sahi likha hai aapne.
pyar ko pyaar hi rahne do, koi naam na do.
हुम्म! यह सब जो चल रहा है, वेलेंटाइनी प्यार का ही तो नतीजा है.
प्यार का सही अर्थ लिखा है आपने, मगर यह जानने समझने का समय नही है ! वाकई लगता है यह सब काल्पनिक बातें रह गयी हैं आज के समय में त्याग कहीं देखने को भी नही मिलता !
बहुत अच्छा व सार्थक लिखा है मनविंदर जी ! शुभकामनायें !
माफ़ी चाहता हूँ देरी से आने पर आपके ब्लॉग पर, पता नही आपका ब्लॉग अचानक दिखना बंद हो गया मेरे ब्लॉग से.
आपकी पोस्ट का मुझे हमेशा से ही इंतज़ार रहता है, क्योंकि आपके लिखने में जो शिद्दत है वो कम ब्लोग्स पर मिलती है
चाँद और फिजां के राज खोलने में भी आपका अंदाज़ अलग ही है,
sahi likha hai pyar ke sahio arth ko samajhne ki koshish karey to bhi jindagi ki sachai uljha deti hai is sawal me ki pyar kya hai ager media ki baat karey to mai anil ji ki baat se sehmat hun ki media ne chand ki pehli patni ki koi sudh lene ki ajtak koi jarurat nahi samjhi
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