दिल्ली रेडियो के लिये जब विश्व के कुछ लोकगीत अनुवाद करके एक धारावाहिक क्रम में प्रस्तुत किये गये तो उन्हें पुस्तक रूप में प्रकाशित करते समय वह पुस्तक `आशमा` हो ची मिन्ह के शब्द दोहराते हुए उन्हें ही अर्पण कर दी। फिर मुझे हो ची मिन्ह का तार मिला जिसमें उनकी ‘शुभ कामनाएं थीं। मन की दशा कुछ बदली। साथ ही एक अंग्रेजी फिल्म याद आ गई जिसमें महारानी एलिजाबेथ को जिस नवयुवक से प्रेम हो जाता है, उसे वह समंदरी जहाज दे कर एक काम सोंपती है, जहाज जब रफ्तार पकड़ता है महारानी दूर से जहाज को दूरबीन लगा कर देखती है। जहाज का नजारा महारानी को परेशान कर देता है। देखती है कि नौजवान की प्रेमिका भी जहाज में उसके साथ है, वे दोनों डैक पर हैं। उस समय महारानी को परेशान देख कर उनका शुभ चिन्तक कहता है, मैंडम ! लुक ए बिट हायर! उपर , उस नवयुवक और उसकी प्रेमिका के सिरों के उपर महारानी के राज्य का झंडा लहरा रहा था।
अमृता की डायरी के प्रष्ट का एक छोटा सा हिस्सा है।
कमजोर पल हर किसी की जिंदगी में आते है लेकिन जिंदगी चलती रहती है। जिंदगी की परेशानिओं से उपर देखने की आदत होने लगती है
12 comments:
ओह! आप कहेगी मैं तो ऐसे ही कहता रहता हूं। लेकिन सच भी तो है। साहित्यिक लेखन में जिस तकनीक की जरूरत पड़ती है आप उस औजार से भलीभातीं परिचित है। लगभग 100 शब्दों के इस छोटे से सार में जो कसक है, और बदलते हुए मिजाज के मोड़ है वो एक टीस देकर जाते है। आप अपनी शैली में बेहद दक्ष है और जानती है कहां पर क्या आना है।
बहुत खूबसूरत प्रसंग का वर्णन किया है आपने मनविंदर शुक्रिया
वास्तव में बहुत अच्छा प्रसंग सुंदर शब्द संयोजन साहित्य की विधा मनो आपके लिए बांये हाथ का खेल है
लुक ऐ बिट हायर-एक बहुत बेहतरीन प्रसंग के माध्यम से उत्साहवर्धक लेखन.
बहुत आभार.
अच्छे शब्द दिये हैं!
---
गुलाबी कोंपलें
बेहतरीन पोस्ट!
अच्छा शब्द है
पढ़ कर मन भावो से उत्साहित व शब्दों से उल्लसित हुआ !
(मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद !)
great mam....
लुक ऐ बिट हायर...
बहुत ही बढ़िया संस्मरण चुन कर लायीं आप.
(gandhivichar.blogspot.com)
आपकी कलम की कायल हूँ बहुत बडिया प्रसंग है बधाई
चंद शब्दों में इतनी गहरी बात कह दी अमृता जी नें.
ये उनके व्यक्तित्व का एक पहलू है
Post a Comment