Sunday, April 20, 2008

कहानी गुड़िया की

एक था आरिफ एक थी गुिड़या, गुिड़या मर गई लेकिन फिर खत्म नहीं हुई कहानी।कहानी आज भी चल रही है। पूछो क्यों?आरिफ अचानक जब कारगिल की लड़ायी के दौरान मस्कोह सैक्टर से लापता हो गया तो भारतीय सेना ने पहले उसके लापता होने की बात कही और फिर उसे भगोड़ा करार दे दिया। लापता होने के लगभग पांच सालों के बाद सेना ने जानकारी दी कि आरिफ पाकिस्तान की जेल में हैं। इसके बाद आरिफ को पाकिस्तान जेल से रिहा कर दिया गया। लेकिन आने पर उसे पता चला कि उसकी दुनिया उजड़ चुकी है, जिस गुिड़या को वह छोड़ कर गया था, उसने तौफीक से विवाह कर लिया है। इधर, गुिड़या भी कम उहापोह में नहीं थी। जिस दिन आरिफ अपने घर मुंडाली पहुंचा, गुिड़या पेट से थी। मैंने जब गुिड़यों को उसके ससुराल में देखा तो उसके चेहरे पर गम की लकीरे साफ चमक रही थीं। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किसकी पत्नी है, आरिफ की या तौफीक की? तौफीक का बच्चा पेट में ले कर उसे आरिफ के घर में रहना बेहद दुष्वार लग रहा था। यह बात उसने मेरे कानों बुदबुदा कर कही भी। मीडिया ने भी गुिड़या और आरिफ काफी परेषान किया। आखिर गुिड़या क्या कहे ? और क्या कहे आरिफ ? तौफीक की सुनने का तो सवाल ही पैदा नहीं हो रहा था। पंचायतों, उलेमाओं और मीडिया को सहते सहते गुिड़या ने समय से पहले ही एक बच्चे को जन्म दिया और बीमार रहने लगी। आखिर दो जनवरी 2006 को गुिड़या ने उस दुनिया को छोड़ दिया जिसने उस पर अपने सारे नियम थोपे और उसे अपनी मजीZ से जीने भी नहीं दिया। आरिफ की कहानी गुिड़यां के मरने से खत्म नहीं हुई। उसने गुिड़या के मरने के दस दिन बाद ही उसके बेटे मतीन को तौफीक के हवाले कर दिया और खुद छढ़ौली की साइस्ता से निकाह कर लिया। आरिफ की जिंदगी में अभी दुष्वारियां बाकी थीं। मुसीबतें आरिफ का एक एक कर इम्तेहान ले रही थीं। उसकी दूसरी बीवी ने एक बेटी अनम को जन्म दिया और उसी दिन के बाद से वह बीमार रहने लगी। उसे ब्लड कैंसर था लेकिन यह बात उसने छिपा कर रखी और 19 अप्रैल को दिल्ली के सैनिक अस्पताल में उसकी मौत हो गई। मुझे आज भी याद आता है गुिड़या की वह खूबसूरत आंखें जिनमें दिल के अरमान तैर तो रहे थे लेकिन लेकिन बहुत खामोषी से । वह आरिफ के घर में थी और उसके दिल में तौफीक था, पेट में तौफीक के प्रेम की निषानी, बहुत दुष्वार लग रहा था गुिड़या को यह सहना।गुिड़यां मरी लेकिन आरिफ और गुिड़या की कहानी खत्म नहीं हुई। तौफिक और गुिड़या का बेटा मतीन तौफीक को मिल गया लेकिन दुनिया भर की जलालत के बाद। अब साइस्ता और आरिफ की बेटी , पता नहीं उसका क्या होगा ? इंसान का किया धरा सब सामने आता है लेकिन फिर भी समाज, उलेमा और कायदेण्ण्ण्ण्ण् दिल क्यों दुखाते हैं?

2 comments:

सचिन said...

well done madam,
ur blog is growing.

समयचक्र said...

bahut badhiya kahanee lagi. likhati rahiye. dhanyaaad.