Friday, April 18, 2008

सेरोगेट नानी

रिश्तों में भरोसा करना आज सबसे बड़ी समस्या है। मुझे जान कर हैरानी हुई कि सेरोगेसी भी इससे जुदा नहीं है। गुजरात को छोड़ दें तो बाकी के अधिकांष ए आर टी सेंटरों के रिकार्ड काफी चौकाने वाले हैं।गुजरात में तो हजारों की संख्या में सेरोगेट मदर जरूरतमंदों को मिल रही हैं लेकिन जब तक सेरोगेट मदर बच्चे को जन्म दे कर उसे माता पिता के हवाले नहीं कर देती है, माता पिता की जान सूखी रहती है। कई बार तो लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी ऐन मौके पर सेरोगेट गर्भ में पल रहे बच्चे के प्रति अपना मोह त्याग नहीं पाती है। भारतीय सिनेमा ने तो ऐसी भावनाओं को खासा कैष कराया है। सच तो यह है कि सेरोगेसी बहुत बड़ा त्याग है। औरत से सभी उम्मीद भी यही करते हैं कि वह समाज के लियेए, परिवार के लिये त्याग करती रहे। बाजारवाद के चलते कुछ लोगों ने इसमें काफी जलालत भी सही है। पूना में तो अब सेरोगेसी के लिये नजदीकी रिष्ते खोजे जाते हैं। हैरान न हो, बेटी और दामाद का अंष नानी के गर्भ में भी पल सकता है। पूना में अधिकांष संतानहीन दंपत्ति अंडे एवं षुक्राणु इक्सी के मदद से अपनी किसी नजदीकी महिला के गर्भ रोपवाना पसंद करते हैं। मुझे इस बात पर यकीन नहीं हुआ तो ए आर टी सेंटर ,मधु जिंदल अस्पताल के डाण् सुनील एवं डाण्अंषु जिंदल ने भी चौकाने वाली जानकारी दी। उनके सेंटर पर कुछ ही महीने पहले एक नानी ने अपने देवते को जन्म दिया। इसे पूरी तरह से गोपनीय रखा गया। दरअसल नानी , भाभाी और बहन से नजदीकी रिष्ता और क्या होगा! इस रिष्ते में कभी एहसान नहीं जताया जायेगा। कभी बच्चे पर हक नहीं जमाया जायेगा। सबसे बड़ी बात है कि ये रिष्ते सेरोगेसी के लिये मोटी रकम भी नहीं मांगेंगे। एक पल के लिये देखा जाये तो सेरोगेसी के लिये बहुत बड़ा जिगरा चाहिए।कुछ तो ऐसे भी मामले प्रकाष में आये हैं कि जहां ए आर टी सेंटर की मदद भी नहीं ली गई, संतान सुख के लिये संबंध भी बनाये गये, भले ही यह भी कापफी जोखिम भरा काम है।

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