Thursday, March 6, 2008

वह पतली फौज्जन

मै जब आर्मी की कालोनी मे पहुची , एक ओरत अपनी दो बेटियों के साथ दरवाजे मे मेरा इन्तजार कर रही थी । वह अनीता थी चरनदास की पत्नी । उसकी कहानी मैं फोन पर सुन चुकी थी लेकिन पता नही कौन सी ताकत मुझे उसके पास खीच लाई। उसे देखते ही उसकी परेशानी का अहसास तो हुआ ही, उसकी बेबसी का विश्वास भी हो गया। मुझे देखते ही वह बोली, 'मैडम जी आप ही कहो, मे बच्चों को कैसे पालू पोसू । चरनदास का होना मेरे लिए बहुत जरुरी है। कम्पनी कमांडर ने उसे इलाज के लिए पुणे भेज दिया है। उसे फार्म १० मे डाल कर कैदी का सा जीवन जीने को मजबूर कर दिया है उसे कोई बीमारी नही है । वह बिल्कुल ठीक है। चरणदास जैसे अस्पताल मे कई फार्म १० की सजा भुगत रहे है। चरणदास को फ़ोन पर बात भी करने की इजाजत नही दी जा रही है। अनिता ने एक बेटी को छाती से लगा दूध पिलाना शुरू कर दिया और दूसरी बेटी को भी गोद मे बिठा लिया । उस पतली फौज्जन को देख कर कौन कहेगा एक सी वर्दी पहनने वाले फोजिओं का पारिवारिक जीवन भी एक सा होता है . आख़िर पतली फोज्जन का इन्तजार कब खत्म होगा.

1 comment:

रवि रतलामी said...

फार्म 10 क्या होता है? जरा विस्तार से समझाएं...