Tuesday, July 14, 2009

मैं क्या बोलूं .....मेरे पेरों तले की जमीं चोरी हो गई है ...

हमारी दुनिया का इतिहास दो लफ्जों से वाकिफ है, एक वतरपरस्ती लफ्ज से और एक वतनफरोशी लफ्ज से । इनमें एक लफ्ज को इज्जत की नजर से देखा जाता है तो दूसरे लफ्ज को हिकारत की नजर से देखा जाता है। ये जो मीडिया के सामने अपना मुंह छिपाये बैठी है, उससे सब पूछ रहे हैं कि उसका बलात्कार कैसे हुआ, वो कौन था वगैरा वगैरा............इसके होंठ वक्त ने सिल दिये हैं लेकिन इसके दिल की जुबान कह रही है........तुम कब उनकी बात करोगे , जिनके पैरों तले की जमीन को चुरा कर उनके बदन को ही उनका वतन करार दे दिया जाता है । और यह भी कह रही है........मैं .....जो कभी घरों की दीवारों में चीनी गई हूं तो कभी बिस्तर में चिनी जाती हूं......क्योंकि मैं एक औरत हूं.......
( ये फोटो सुनील शर्मा द्वारा किल्क किया गया है..........)

26 comments:

vandana gupta said...

ek katu satya ko ujagar karta hua drishya hai ..........magar uski vedna ko samajhna atyant kathin hai,sirf bhuktbhogi hi samajh sakta hai.

ओम आर्य said...

aise logo ke liye hamare samaj ka najariya badalana bahut jaruri hai
.......tabhi sachche artho me unaki churayi jamin waapas dilane me asali madad hogi..........warana inaki wedana ko bhagawan kam krane madad kare....meri yahi prathana hai

डॉ. मनोज मिश्र said...

दुखद के बाद और दुखद ,कब लोग समझेंगे ?आश्चर्य है की हमारा समाज ऐसे -कैसे हो गया है ..

Drmanojgautammanu said...

भिम्भर जी

सिर्फ महिला ही नहीं वरन पूरे समाज पर यह कुकृत्य ऐसा कलंक है जिसकी जितनी भी
भत्र्सना की जाय कम है । चूकी एक स्त्री की अिस्मता पर आँच आना उसका सब कुछ लूट गया उसका दुनिया में कुछ भी नहीं बचा । ऐसे संगीन अपराधों को रोकने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को संकल्प लेना होगा क्योंकि सबके घरों में बहन-बेटियाँ हैं ।जिस सवाल की बात कर रही हैं तो ऐसे सवाल पूछने वालों को इस विचार करना चाहिए कि क्या पूछ रहे हैं ।

रंजीत/ Ranjit said...

lagta hai ham samvedanhinta ke samudra me dub rahe hain. inkee takleef ko samjho nahin to ye taklif tumhen leel legee, deshvasiyon !

रंजन (Ranjan) said...

:(

फोटो भी डराने वाला है.. मिडिया मानवता कब सिखेगा पता नहीं..

Udan Tashtari said...

मन क्षोब और वितृष्णा से भर जाता है यह सब होता देख और बच रहता है हमारा हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना.

Science Bloggers Association said...

ऐसे हालात में सिर्फ एक ही लफज होठों तक आता है; अफसोस।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

रंजू भाटिया said...

एक डराता हुआ कड़वा सच जो यह तस्वीर खुद कह रही है ..

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

kaash hum kabhi samvedna ko samajh paate...
thanks for sharing this...

जितेन्द़ भगत said...

इतने संवेदनशील मामले में मीडि‍यावाले सारी तमीज भूल जाते हैं, क्‍योंकि‍ उनके लि‍ए यह मात्र मसालेदार खबर है।

M VERMA said...

बेहद सम्वेदनशील मुद्दा. वाकई पैरो तले ज़मीन चोरी हो गई.

डॉ .अनुराग said...

इस तस्वीर से वाकिफ हूँ ओर इस हादसे से भी.....यहाँ दोष मीडिया का है.....खबरों की बाईट देने की इतनी होड़ है की सवेदनशीलता खो गयी है...कौन रोके...अपना अंतर्मन मीडिया टटोलता नहीं..सरकार ने किसी कानून की बात की तो शोर मच गया .अभिव्यक्ति की आज़ादी का .खुद सुना है एक रेगुलेटरी कमिटी बनायीं है .कहाँ तक सफल है भगवान् जाने ....क्यूंकि कोई चैनल कुछ भी दिखा दे ....खंडन कभी नहीं करता ..
क्या पत्रकार बनने के कोई मापदंड नहीं है....क्या संपादन विभाग इतना गैरजिम्मेदार हो गया है की खबरों की पहली बाईट उसकी पहली प्राथमिकता हो गयी है......क्यों पत्रकारों को सवेदन शील मुद्दों की फिल्ड रिपोर्टिंग की ट्रेनिंग नहीं दी जाती ?

Vinay said...

अब क्या कहा है आप बीते तो दुनिया समझे
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विज्ञान । HASH OUT SCIENCE

सुशील छौक्कर said...

बहुत दुखद। ये कैसी दुनिया बनती जा रही है समझ नही आता। ऊपर से ये पढे लिखे लोग? सब पढ लिया बस मानवता नही पढी।

NITIN THAKUR said...

sahi likha hai aapne....es kadwe sach ko aise jeevant photo ke saath saamne rakhne par aapko shukriya...

manju said...

yah purush pradhan samaj aurat ko kabhi sharir se lootta hai to kabhi bhvnao se.Sabhi mauka parast hain. har mauke ko bhonana chahte hai. ek humble request, aise muddon ko yadi mahila patrkar handle kare to behtar hoga.

राज भाटिय़ा said...

यह लडकी अगर इन मै से किसी की बहिन होती तो क्या यह युही पुछते???
लानत शव्द भी इन कमीनो के लिये छॊटा है...

कंचन सिंह चौहान said...

दर्दनाक...!

Razi Shahab said...

बेहद सम्वेदनशील मुद्दा. वाकई पैरो तले ज़मीन चोरी हो गई.

दिगम्बर नासवा said...

Bahoot hi samvedansheel mudda hai yeh.....aur is ke liye hamara samaj hi jimmedaar hai....Samaaj yaane ke hum sabhi ko oopar uthna hoga ....

hem pandey said...

मुद्दा जरूर संवेदनशील है किन्तु पत्रकारों को संवेदना से नहीं मसालेदार खबरों से मतलब है.

संतोष कुमार सिंह said...

पिंकी इस देश की बेटी हैं जिसे कुछ दरिंदो ने इस हालात में पहुचा दिया हैं जहां से बाहर निकलने में आप सबों के प्यार और स्नेह की जरुरत हैं।

sandhyagupta said...

Aapki baat sochne ko majboor karti hai.

कीर्ति राणा said...

yah wo sachhai hai jise jante hue bhi ham nazar churate rahte hai.
photo aur comment andar tak hila deta hai.....kirti rana

Rector Kathuria said...

आप बहुत सादगी से और गहरायी में जा कर लिखती हैं....आप जैसे लोगों के ज़रिये ही वो समाज बनेगा जिसमें किसी के भी पैरों के तले से न तो ज़मीन चोरी होगी और न ही छीनी जाएगी...काश हमारे बाकी पत्रकार भी आप से प्रेरणा ले सकें....

रेक्टर कथूरिया (rectorkathuria@gmail.com)

http://www.punjabscreen.blogspot.com/