रात जब जाग गई तो ......
अपनी ही लिखी नज्म ......
सिरहाने आन खड़ी हुई ......
नींद से बेजार आंखों ने ......
नज्म के फिक्रे के पीछे ..........
छिपे साये को देखा..........
साया चुपचाप .......
गारे के इतिहास में उतर गया ........
दबी यादों को कुरेदने लगा........
सिले जख्मों के धागे .......
उसने नज्म के हवाले कर दिये ...........
नज्म के होंठों में कंपन देख ........
साया फिक्रे में .........
जा मिला ........
और .....
नज्म अडोल खड़ी रह
गई .........
43 comments:
kamaal ki prastuti, aapki kalpnasheelta aur unko shabdon men baandhna , daad deni hogi, bahut khoob likha hai manvinder ji, badhai sweekaren.
achha likha hai apne, maine pahli bar apko padha, bahut achha laga..badhai
नज्म ने तो नज्म लिख डाली
वाह ----
aap jo bhi likhate ho usame itani gahari baat chhupi rahati hai ki aatmaa tak baat pahuchati hai ................bahut hi sundar
वर्मा जी ठीक कह रहे है! यहां तो नज्म ने ही नज्म लिख डाली। वैसे नज़्म एक बहाना भर है, असल में तो ये बयां है, दर्द की कतरनों का। आपके पास ऐसे ना जाने कितने जोड़ी लिबास है, जो कतरनों की शक्ल में दर्द की तरजुमानी हैं। जो लोग ऐसी नज़्में लिखते है, कैसे होते होगें?
सत्य है-नज्म से उपजी एक नज्म!! जय हो आपकी.
बहुत भावपूर्ण लिखा है आपनें .
umda !
bahut umda nazm !
umda !
bahut umda nazm !
umda !
bahut umda nazm !
bahut sundar !!
आप हमेशा कम लिखती है पर जो भी लिखती वो बहुत ही उम्दा लिखती है। आपके लिखे शब्दों में बहुत गहराई होती है। एक अलग अहसास महसूस होता है। अद्भुत।
नज्म के दर्द का एहसास,
सुन्दर प्रस्तुतीकरण.
बधाई
गारे के इतिहास में उतर गया ..
बहुत खूब ! नज़्म उम्दा है पसंद आई, बधाई
kafi ghahrai hai..... bahut achcha laga
मन के भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
aap ehsas ke us samunder main le jati hain. jahan umar ka koi bandhan nahin hota. aadmi apne aap ko umar ke us hisse main le jata hai, jahan sirf pyar hi pyar hota hai. badhai.
aap ehsas ke us samunder main le jati hain. jahan umar ka koi bandhan nahin hota. aadmi apne aap ko umar ke us hisse main le jata hai, jahan sirf pyar hi pyar hota hai. badhai.
गहरे मे छुपी भावनाओं की बेजोड प्रस्तुति अन्दर छुपी भावनायें हमेशा ही ऐसी नज़्में घडती रेहती हैं और अडोल ही ऐसी रचना रच देती हैं बहुत सुन्दत अभव्यक्ति है आभार्
bahut hi shandar...........
badhai..........
आपके शब्द बोलते हुवे लगते हैं............ अजीब सा एहसास जगह देती हैं आपकी रचनाएं.......... मन की गहराइयों से निकली हुए होती है आपकी हर रचना....... लाजवाब
मनविन्दर जी,
एक नज़्म को जन्म लेते हुये महसूस किया जा सकता है।
बहुत अच्छी रचना।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
नज़्म का सपना नज़्म ने देखा ..
यादों के जख्म कुरेदने लगा ....
बहुत सुंदर लिखा आपने
nzam ka ye bhi ek andaaz.
pasand aaya.
bahut hi sundar!
भावों की सुन्दरतम प्रस्तुति....रचना अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई।
ghazab ka lekhan..ek alag si kriti
गज़ब की सोंच, गज़ब की प्रस्तुति
बधाई स्वीकार करें.
चन्द्र मोहन गुप्त
Aapki sundar tippani ke liye shukriya. Bahut hee achchhi nazm hai aapki. 'Adol' ka prayog adbhut hai. Badhai
kamaal ki nazm kahti hai aap
padha phir padha phir ek baar aur padha shabad seedhe man par asar karte rahe
bahut bholi aur bahut massom kahti hai aap
आदरणीय मन्विन्दर जी,
क्या ही बेहतरीन लहजे में आप बात कह गईं ।
जबलपूर से हमारा सलाम क़ुबूल फ़रमाइएगा जी इस चुनिंदा रचना के लिए। और हाँ जी बहुत बहुत आभार भी।
सुंदर भावाभिव्यक्ति.
achhi prstuti.
महोदय,
नमस्कार।
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सुनील कुमार
9999024943
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gazal ke haath ,yaadon ki kalam aur simple shabdon ki syaahi .sundar ati sundar
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नज्म अडोल खड़ी रह गई....
wah !!
nazm to time prrof hoti hai ji !!
रात का जागना और स्वयं का जागना एक समान है। बिताये कौन से दिन कब सामने आ खड़े होंगे, कुछ पता ही नहीं चलता। दिल कौन से सपने बुनना चाहता है, वे भी थपकी देने लगते हैं। अच्छी रचना, बधाई।
आपकी अभिव्यक्ति का कोई जबाब नहीं ।
इस लाजवाब नज़्म और आपके जन्म दिन के लिए ढेरों बधाईयाँ...
नीरज
मनविन्दर जी
HAPPY BIRTHDAY
HEARTY-CONGRATULATIONS
thankx
HEY PRABHU YAH TERAPANTH
MUMBAI-TIGER
आपकी नज़्में पढ कर एक खमोशी रूह में उतर जाती है और मेरी तमन्ना भी अक्सर यही होती है ...
pahli baar apke blog pe aayee hun...and n speechless....kitne gahre bhaw hai or kitne kam shabad...
बहुत खूब!
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