Monday, July 27, 2009
........लेकिन पानियों पर चलने को राजी नहीं होते कदम ....
जिन वजहों से ........
पानियों में कभी बहे ........
वो वजहें अब पानियों में बह गई हैं ........
अब ........
उन पानियों के दो किनारे बन .......
पानियों में ......
उन वजहों को टटोलते हैं .......
पर हर बार हाथ खाली ही रहते हैं .......
थक कर खड़े होते हैं .......
पानियों में अपनी अपनी परछाई ........
देख पानी पर चलने की कोशिश करते .......
लेकिन पानियों पर चलने को राजी नहीं होते कदम .......
Labels:
manvinder bhimber .,
कदम,
पानियों,
राजी
Tuesday, July 14, 2009
मैं क्या बोलूं .....मेरे पेरों तले की जमीं चोरी हो गई है ...
हमारी दुनिया का इतिहास दो लफ्जों से वाकिफ है, एक वतरपरस्ती लफ्ज से और एक वतनफरोशी लफ्ज से । इनमें एक लफ्ज को इज्जत की नजर से देखा जाता है तो दूसरे लफ्ज को हिकारत की नजर से देखा जाता है। ये जो मीडिया के सामने अपना मुंह छिपाये बैठी है, उससे सब पूछ रहे हैं कि उसका बलात्कार कैसे हुआ, वो कौन था वगैरा वगैरा............इसके होंठ वक्त ने सिल दिये हैं लेकिन इसके दिल की जुबान कह रही है........तुम कब उनकी बात करोगे , जिनके पैरों तले की जमीन को चुरा कर उनके बदन को ही उनका वतन करार दे दिया जाता है । और यह भी कह रही है........मैं .....जो कभी घरों की दीवारों में चीनी गई हूं तो कभी बिस्तर में चिनी जाती हूं......क्योंकि मैं एक औरत हूं.......
( ये फोटो सुनील शर्मा द्वारा किल्क किया गया है..........)
Friday, July 10, 2009
शुक्रिया ... ......आपने मुझे याद रखा
मेरे जन्म दिन के मौके पर यूँ तो आधी रात से ही फ़ोन काळ आने शुरू हो गए थे लेकिन सुबह सुबह कविता जी ने जब फोन पर जन्मदिन की बधाई दी और बताया की पाबला जी की पोस्ट में भी जन्मदिन का जिक्र किया गया तो मैंने सिस्टम आन किया ........इसके लिए मैं पाबला जी का शुक्रिया करती हूँ । कुछ देर में रचना जी ने भी मेरी फोटो के साथ जन्मदिन की पोस्ट डाली ........दोनों ही पोस्ट पर मेरे ब्लॉगर दोस्तों ने बधाइयों का अंबार लगाया हुआ है ......मुझे दिल से खुशी हो रही है .......मैं एक बार फ़िर पाबला जी का और रचना जी का शुक्रिया अदा करती हूँ ..... उन सभी दोस्तों भी शुक्रिया जिन्होंने मुझे विश किया
Subscribe to:
Posts (Atom)