उस रात .....................
वो अकेली नहीं ...........................
उस के साथ रात भी जली थी .......................
मैंने उसे आग अर्पित की ..........................
वो और भी सर्द हुई ................................
समन्दर की बात की .............................
तो वो और भी खुश्क हुई ................................
उस की प्यास न पानी बनी ................................
ना आग .....................................
उसके दोष अँधेरे नहीं .................................
रौशनी थे ..............................
उसकी भटकन केवल रिद्हम थी ............................
जब साज निशब्द हुए ..................................
तो वो मीरा बनी ...................................
राबिया हुई ...................................
आखिर .........................................
मंदिर का प्रसाद हुई .........................................
मस्जिद की दुआ हुई ...................................................