Sunday, May 24, 2009
जिन्दगी के कुछ टुकड़े ......जो गिर गए कहीं
Monday, May 4, 2009
पेड़ .......जिस पर अभी अभी बौर आया
मेरे शहर में एक प्यारी सी लड़की थी ......डी फार्मा की छात्रा , जिसने प्यार में धोखा मिलने पर अपनी जान गंवा दी। अपने प्रेमी के लिए उसका आखिरी नोट कुछ इस तरह से था............''मैं तुम्हें प्यार की तरह से प्यार नहीं करती , मैं तुम्हें देवता समझती थी। तुमने शादी करके दिखा दिया कि प्यार हमेशा बराबर वालों के साथ किया जाता है। हम ही गलत थे। एक बार यह तो देख लेते, तुम हमारे दिल में किस जगह रहते थे।''
.......... पता नहीं उम्र कच्ची थी या प्यार का रंग लेकिन प्यार रूसवा हो गया।
अरसा पहले एक नज्म यूं ही लिखी थी, नहीं जानती आज क्यों फिर वह नज्म जेहन में हावी हो रही है।
एक ख्याल
उगते सूरज सा ख्याल
पहली बार ख्याल से सामना हुआ
उस पेड़ के नीचे
जिस पर अभी अभी बौर आया था
ख्याल बौर से खेलने लगा
वो तपती दोपहरी थी
ख्याल के साथ आन खड़ा हुआ एक साया
हवा चली
बौर के कुछ अंश साये पर बिखरे
साये में कंपन हुआ
कायनात महक उठी
डाल पर बैठा परिंदा देख रहा था
कंपन
कायनात का महकना
और दूर से आता तूफान (अगला अंश फिर कभी ..................)