मेरा दूसरा जन्म हुआ
जब पहली मुलाकात के बाद
तुमने मेरा जन्म दिन मनाया
और फिर
मेरी जिंदगी का जश्न भी तुमने ही मनाया
खूबसूरत सोचों के साथ
और कविता कविता जिंदगी के साथ
शामिल हो कार वो भी चालीस साल
आज भी
तेरी वो शमूलियत
मेरी जिदगी में
जिंगदी की सांसों की तरह से जारी
और तेरी मेरी जिंदगी के मेल का वह जश्न भी
इससे से भी सालों साल पहले अमृता ने किसी कमजोर पल में जिंदगी से शिकवा किया
लक्ख तेरे अंबरा विच्चों, दस की लभ्भा सानूं
इक्को तंद प्यार दी लभ्भी , ते ओह वी तंद इकहरी
पर सच तो यह है यह इकहरा तार सालों साल गुजर जाने के बाद भी कमजोर नहीं हुआ और अमृता को अपने में लपेटे हुए साथ साथ चलता रहा। जब अमृता जिंदा थी, उस दौर में भी। आज जब अमृता नहीं हैं, तब भी। और हां, कुछ लोगों के साथ कुछ अलग सा घट जाता है। देश के बंटवारे का अमृता के जीवन पर बहुत गहरा असर रहा, यह असर उनके लेखन में भी पढ़ने को मिला। इमरोज का जन्म बटवारे से कई वर्ष पहले हुआ लेकिन वह दिन था 26 जनवरी का दिन। मैंने उनसे वैसे ही एक दिन पूछ लिया, आपका जन्म इतने अच्छे और राष्ट्रीय महत्व के दिन हुआ है, इस पर इमरोज मासूम सी हंसी हंस कर कहते हैं, जब मैं पैदा हुआ था तब 26 जनवरी का कोई महत्व नहीं था, 26 जनवरी का महत्व को तो तब हुआ जब इस दिन देश को गणतंत्र देश का दर्जा दिया गया।मेरा जन्म तो पहले ही हो चुका था।
मैंने मन के अंदर ही अंदर कहा, इमरोज, तुम वो नूर हो, जिसकी रोशनी से समाज में बहुत कुछ ऐसा हो गया जिसकी लोग मिसाल देते हैं, देते रहेंगे। तुम अमृता का वो इकहरा तार हो जो न कभी कमजोर था, न कभी कमजोर होगा। तुमने आज भी अमृता को इस तार में लपेटा हुआ है।