सुबह सवेरे
कोहरे में सब कुछ
धुंधला गया
गुलाब का बूटा
जिससे महकता था आंगन
दरख्त जहां पलती थी गर्माहट
मोड़ जहां इंतजार का डेरा था
कुछ भी तो नहीं दिख रहा
सब धुंधला गया
दिल पर हाथ रखा तो
वह धड़क गया
तेरे ख्याल भर से
सोचा
यह ख्याल है या जिक्र भर तेरा
तुम कहते हो
मैं कहीं गया नहीं, यही हूं तेरे पास