tag:blogger.com,1999:blog-4708717044925780894.post6788326161066858400..comments2023-10-23T12:13:13.134-07:00Comments on मेरे आस-पास: ब्लॉग पर लिखने से क्या होगा ?MANVINDER BHIMBERhttp://www.blogger.com/profile/16503946466318772446noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4708717044925780894.post-78345126376565833452008-09-06T02:51:00.001-07:002008-09-06T02:51:00.001-07:00aap likhti rahiyr sabko ahsaas hoga .aap likhti rahiyr sabko ahsaas hoga .Renu Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07005735117071191731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4708717044925780894.post-49589344589128472872008-09-06T02:51:00.000-07:002008-09-06T02:51:00.000-07:00aap likhti rahiyr sabko ahsaas hoga .aap likhti rahiyr sabko ahsaas hoga .Renu Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07005735117071191731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4708717044925780894.post-3519130909716620432008-09-03T22:47:00.000-07:002008-09-03T22:47:00.000-07:00ऐसी घटनाओं को पढ़ कर मन जड़ हो जाता है..यकीन नही होत...ऐसी घटनाओं को पढ़ कर मन जड़ हो जाता है..यकीन नही होता कि एक ही पल मे हम संवेदनशून्य भी हो जाते है ... मन विचलित हो जाता है कि क्या उपाय किया जाए कि समाज मे ऐसा न हो...मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4708717044925780894.post-91534446962639152772008-09-03T21:59:00.000-07:002008-09-03T21:59:00.000-07:00पता नही बेटे-बेटी का फर्क कब खत्म होगा और कब लोग ...पता नही बेटे-बेटी का फर्क कब खत्म होगा और कब लोग बेटियों की हत्या करना बंद करेंगे। कैसे माँ-बाप अपनी संतान को मार सकते है ये सोचकर ही मन विचलित हो जाता है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4708717044925780894.post-28065315828404605322008-09-03T20:31:00.000-07:002008-09-03T20:31:00.000-07:00हरियाणा की ही बात नही है. बाकी जगहों पर भी ये ही स...हरियाणा की ही बात नही है. बाकी जगहों पर भी ये ही सब हो रहा है. औरत ने जनम दिया मर्दों को, गीत की पंक्तियाँ आँखें नम कर देती हैं, लेकिन जब बेटी को नाहर में डाला जा रहा था, तब एक औरत की सहमती भी उसमे रही होगी. उसने अपने कलेजे के टुकड़े को नाहर में फैकने की इजाजत कैसे दे दी. देखें तो औरत भी इन हालातों के लिए कम जिमेदार नहीं हैं. वे भी बेटा नही होने पर बहु का जीना हराम कर देती हैं. <BR/>ये सच में भीतर तक हिला देने वाली घटना है. अपने इसे इतनी संजीदगी से लिखा, इसलिए बधाई की पत्र हैं. लेकिन समाज को इन घटनाओं पर गंभीरता से सोचना होगा. औरत के बिना मानव जीवन की कल्पना तक नही नही की जा सकती. उसके प्रति ये भाव बेहद दुखद है.ओमकार चौधरीhttps://www.blogger.com/profile/00252694907504968476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4708717044925780894.post-15292064480963923732008-09-03T04:57:00.000-07:002008-09-03T04:57:00.000-07:00अच्छे विचार और संवेदन शीलता हमेशा दिल में जगह बनात...अच्छे विचार और संवेदन शीलता हमेशा दिल में जगह बनाती है और यही कार्य अच्छा लेखन करता है ..सो कुछ बहुत न हो पर .शायद एक उम्मीद है की किसी के सोये दिल को यह जगा दे .कि बेटा बेटी दोनों एक से हैं .फर्क क्यूँ है फ़िर इतनारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4708717044925780894.post-38812508550172428692008-09-03T04:43:00.000-07:002008-09-03T04:43:00.000-07:00मासूम बच्ची को लेकर अपने विचारों को शब्दों में ढ...मासूम बच्ची को लेकर अपने विचारों को शब्दों में ढालकर आपने बहुत अच्छा किया। <BR/><BR/>अच्छा लेखन लोगों के अंदर अच्छे विचार जरूर जगाता है। इस तरह के लेखन से प्रभावित होकर कई बार संस्थाएं अथवा जरूरतमंद भले लोग इन मासूमों के लालन-पालन के लिए आगे आते हैं।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4708717044925780894.post-37615541118425481122008-09-03T04:07:00.000-07:002008-09-03T04:07:00.000-07:00ब्लॉग पर लिखने से क्या होगा ?-ये सवाल कइयों के मन ...ब्लॉग पर लिखने से क्या होगा ?<BR/>-ये सवाल कइयों के मन में कई बार आ चुका होगा। पढ़े-लिखे लोगों के एक तबकों के कथनी और करनी में चाहे जितना भी अंतर क्यों न हो, उनके भीतर का सच उनके लेखन से बाहर आ ही जाएगा। लेखनी के कम ही कलाकार ऐसे होंगे जो नेताओं की तरह अपने भीतर कुछ और ही रच रहे होंगे। एक तरह से ब्लॉग कन्फेसन का जरिया-सा बन जाता है।<BR/>रही बात समस्याओं पर पढ़कर अमल में लाने की,तो आप ये मानकर चलिए कि यदि एक भी पाठक के मन में किसी का भी लेख पढ़कर सच्ची संवेदना जग गई, तो अमुक का लिखा सार्थक हो गया। इसलिए सिर्फ तलवार से ही क्रांति(या सुधार) नहीं लाई जा सकती। <BR/>(भाषण्ा-सा लगा हो तो क्षमा)जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4708717044925780894.post-54260112480969376442008-09-03T03:38:00.000-07:002008-09-03T03:38:00.000-07:00ye sach me badi vimabna hai ki hum vaise to modren...ye sach me badi vimabna hai ki hum vaise to modren hone ka dum bharte hain lekin yahan aaakar hum fir dakiyanusi ho jaate hai.<BR/><BR/>vaise aapne apne shabdo me jo dard dikhaya hai vo sach me speechless hai.Rakesh Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/09630659559078508400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4708717044925780894.post-58059430879984020822008-09-03T03:24:00.000-07:002008-09-03T03:24:00.000-07:00पता नही ऐसा क्यों होता है लगता है कि लोगो के बाजुओ...पता नही ऐसा क्यों होता है लगता है कि लोगो के बाजुओ में जान नही। इसलिए शायद वे अब भी बेटा बेटी में फर्क करते है।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.com